"अधिकारों के बाहर किया गया अनुबन्ध व्यर्थ होता है और उसका अंशधारियों की सर्वसम्मति से भी पुष्टिकरण नहीं किया जा सकता है।" कथन है –
(अ) लॉर्ड केयर्स का
(ब) न्यायाधीश चार्ल्सवर्थ का
(स) लॉर्ड सेलबोर्न का
(द) न्यायाधीश बोवेन का
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"अधिकारों के बाहर किया गया अनुबन्ध व्यर्थ होता है और उसका अंशधारियों की सर्वसम्मति से भी पुष्टिकरण नहीं किया जा सकता है।" कथन है –
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