अधिकार से बड़ा : कर्तव्य पे 80-100 शब्दों का निबंध
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अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के पूरक है। एक का अधिकार दूसरे का कर्तव्य है और दूसरे का अधिकार पहले का कर्तव्य है।
महात्मा गांधी ने कहा था, अधिकार का सच्चा स्त्रोंत है कर्तव्य। अगर हम सब अपने कर्तव्यों का पालन करे, तो अधिकारों को खोजने की जरूरत नही पड़ेगी। अगर कर्तव्यों की उपेक्षा करके हम अधिकारों के पीछे पड़े, तो हमारी खोज मृगतृष्णा की तरह व्यर्थ होगी। जितना हम अधिकारों का पीछा करेंगे, उतना ही वे हमसे दूर होगे।" अधिकार तथा कर्तव्य दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है, दोनों परस्पर आश्रित है। अधिकार कर्तव्य के बगैर नही रह सकते एवं कर्तव्य अधिकारों के बगैर। एक व्यक्ति हेतु जो अधिकार है, वही दूसरे के कर्तव्य होते है।
अधिकार तथा कर्तव्य दोनों का ही सम्बन्ध समाज से है। जब व्यक्ति समाज से स्वयं उनके अधिकारों के उपयोग मे मदद पहुंचाता है, तो वे कर्तव्य होते है।