अधिकार, सौंपने से आप क्या समझते हैं। आपकार
सौमिंग के सिन्हंतों और सीमाओं की व्याख्या करेंगे
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Answer:
hey dear friend
Explanation:
राजनीतिक और संवैधानिक दृष्टि से अधिकार मानव इतिहास से समान शाश्वत है। प्राचीन काल में परिवार और संपत्ति पर मातृसत्ताक समाज में माँ का तथा पितृसत्ताक समाज में पिता का अधिकार होता था। राजतंत्र के विकास के साथ राजा दैवी अधिकार के सिद्धांतों की सहायता से प्रजा से प्रजा को समस्त अधिकारों से निरस्त कर राष्ट्र विशेष में संप्रभु बन जाने लगा। प्रजा या धार्मिक समूहों के हस्तक्षेप से राजा के सीमित अधिकार की मान्यता प्रचलित हुई। भारत और यूनान के प्राचीन गणराज्यों में जनतंत्र या गणतंत्र की कल्पना की गई, जिससे राजा के अधिकार प्रजा के हाथों में जा पहुँचे एवं कहीं प्रत्यक्ष जनतंत्र से, तो कहीं निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन होने लगा। प्लेटो ने आदर्श नगर राज्यों की जनसंख्या 1050 तो अरस्तु ने 10 हजार निश्चित की। अरस्तू ने अप्रत्यक्ष जनतंत्र की भी व्यवस्था दी। उत्तरी भारत में गणतंत्रों का विशेष प्रचलन हुआ, खासकर बौद्ध युग में। कुरु, लिच्छवि, मल्ल, मगध जैसे अनेक गणतंत्रों का इतिहास में उल्लेख मिलता है। हिंदू राजशास्त्रों ने प्रजा के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने के लिए राजा का प्रमुख कर्तव्य प्रजा का रंजन और रक्षण बताया। प्राचीन काल में शासकों और सामंतों ने जनता के अधिकारों का अपहरण कर दास प्रथा का भी प्रचलन किया जिसके अंतर्गत स्त्री-पुरुषों के क्रय-विक्रय का क्रम शुरू हुआ और बलात् शासकेतर व्यक्तियों एवं समूहों को दास बनाया जाने लगा। भारत में दास प्रथा के विरुद्ध मानवीय अधिकारों के लिए सबसे पहले गौतमबुद्ध ने आवाज उठाई और भिक्षु बनाकर दासों को मुक्ति देने का क्रम चलाया।
महान चार्टर (मैग्ना कार्टा) इंग्लैण्ड का प्रथम दस्तावेज है जिसमें राजा द्वारा अपनी प्रजा के कुछ अधिकारों को स्वीकार करने का वचन दिया गया है। इससे राजा के मनमाने अधिकारों पर कुछ अंकुश लगा।
आधुनिक जनतांत्रिक अधिकारों की प्राप्ति का संघर्ष इंग्लैंड में 13वीं शती से आरंभ हुआ जिसमें राजा के निरंकुश अधिकारों के विरुद्ध विजय हासिल हुई। 1215 ई. में प्रसिद्ध मैग्ना कार्टा की घोषणा से ब्रिटिश संसद को राजा पर नियंत्रण करने का अधिकार मिला। 1603 से जेम्स प्रथम ने दैवी अधिकार के लिए फिर संघर्ष शुरू किया, किंतु 1688 ई. में गौरवपूर्ण क्रांति ने समस्या को सदा के लिए सुलझा दिया, जिसके पश्चात् इंग्लैंड में संसदीय शासन की स्थापना कर दी गई। 16 दिसम्बर 1889 को ब्रिटिश संसद की अधिकार घोषणा को राजा विलियम तथा रानी मेरी ने स्वीकार कर शासन में जनता के अधिकार को मान्यता दी, तबसे ब्रिटिश संसद के अधिकार बढ़ते ही गए। विश्व में मानव अधिकार की व्यापक गरिमा फ्रांसीसी क्रांति (1789 ई.) से स्थापित हुई।
प्रबंधन के क्षेत्र में काम या अधिकारों को सौंपना एक महत्वपूर्ण कला है। काम और अधिकारों का प्रभावी वर्गीकरण ना सिर्फ समय बचाता है, बल्कि जूनियर लेवल पर भी नेतृत्व क्षमता का विकास कर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह दोतरफा प्रक्रिया है। कैसे बनाया जा सकता है इस प्रक्रिया को प्रभावी:
काम की स्पष्टता: काम आपको पूरी तरह स्पष्ट होना चाहिए। साथ ही यह भी कि काम सौंपा जाए या नहीं। इससे वर्गीकरण भी स्पष्ट होगा।
व्यक्ति या समूह: किसी व्यक्ति या समूह को काम सौंपने के आपके क्या कारण हैं? उससे उन लोगों को और आपका क्या फायदा होगा?
क्षमता और प्रशिक्षण आकलन: जिस व्यक्ति या समूह को काम सौंपा जा रहा है क्या वे इस काम को करने में सक्षम हैं? क्या वे जानते हैं कि उन्हें क्या करना है?
कारण स्पष्ट करो: काम या जिम्मेदारी क्यों सौंपी जा रही है, इसका सही कारण भी आपके पास होना चाहिए। आप यह पूरी तरह बताने में सक्षम हों कि आप ने व्यक्ति विशेष या समूह को क्यों चुना है, उसका खास कारण क्या है? इसके अतिरिक्त काम सौंपने की सार्थकता और महत्व भी आपको पूरी तरह स्पष्ट होना चाहिए।
अपेक्षित परिणाम के बारे में स्पष्ट करें: काम का लक्ष्य और उसका आउटपुट भी पूरी तरह स्पष्ट होना चाहिए। दूसरे लोगों से इस संबंध में बात भी की जा सकती है।
डेडलाइन सहमति के साथ: काम कब पूरा हो, अथवा क्या यह निरंतर चलने वाली क्रिया है? काम की समीक्षा कब की जाएगी? यदि काम जटिल है अथवा कई भागों में बंटा है तो पहली प्राथमिकता क्या होगी?
संपर्क और सहयोग: काम पूरा करने के लिए आवश्यक सूचना प्रदान करें। यदि दूसरे लोगों को इस प्रक्रिया में शामिल कर रहे हैं तो उनको राजनीतिक मामलों और प्रोटोकॉल की जानकारी भी दें।
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