Science, asked by Shravan3462, 2 months ago

अधिक विभांतर प्राप्त करने के लिए सेलो को किस क्रम में जोड़ते हैं?

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Answered by s1863tahseen3029
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Answer:

सेलों का संयोजन (combination of cells in hindi ) : हर सेल की एक सीमा होती है है की वह उस सीमा से अधिक धारा परिपथ में प्रवाहित नहीं करता , लेकिन कभी कभी हमारे सामने ऐसी परिस्थिति आती है की हमें अधिक धारा की आवश्यकता होती है इसलिए हमें वांछित धारा प्राप्त करने के लिए सेलो को श्रेणी , समान्तर या मिश्रित क्रम में जोड़ा जाता है , हम आगे विस्तार से इनके बारे में अध्ययन करते है की सेलो को किस प्रकार जोड़ा जाना उचित होगा। तो आइये विस्तार से सेलो के संयोजन का अध्ययन करते है।

सामान्तया: सेलो को दो प्रकार से जोड़ा जा सकता है

१. श्रेणीक्रम संयोजन

२. समांतर क्रम संयोजन

सेलों का श्रेणीक्रम संयोजन (series combination of cells )

जब सेलों को इस प्रकार जोड़ा जाए की एक सेल का टर्मिनल दूसरे सेल के विपरीत ध्रुवता वाले टर्मिनल से जुड़ा हो तो इस प्रकार के संयोजन को श्रेणीक्रम संयोजन कहते है।

अर्थात एक सेल का धनात्मक सिरा दूसरे सेल के ऋणात्मक सिरे से जुड़ा होगा। जैसा चित्र में दर्शाया गया है।

चित्रानुसार दो सेल श्रेणीक्रम में जुड़े हुए है जिनके विद्युत वाहक बल क्रमशः E1 , E2 हैतथा सेलो का आन्तरिक प्रतिरोध क्रमशःr1 , r2 है। इन सेलो को श्रेणी क्रम में जोड़कर इस संयोजन से कितनी धारा I प्राप्त की जा सकती है यह देखने के लिए एक प्रतिरोध R जोड़ा गया है , जिसमे संयोजन से कितनी धारा प्रवाहित हो रही है इस बात का अध्ययन किया जावेगा।

बिंदु A तथा B के मध्य विभवान्तर

VAB = V (A) – V (B) = ε1– Ir1.

बिंदु B तथा C के मध्य विभवांतर

VBC = V (B) – V (C) = ε2 – Ir2

अतः बिंदु A तथा C के बीच विभवान्तर

VAC = V (A) – V(C) = [V (A) – V (B)] + V (B) – V (C)]

VAC = ε1– Ir1 + ε2 – Ir2

VAC = ( ε1 + ε2) – I(r1+r2).

माना संयोजन में दोनों सेलो का कुल आंतरिक प्रतिरोध req के बराबर है तथा कुल विद्युत वाहक बल εeq है।

तो

VAC = εeq – I req.

VAC के दोनों समीकरणों की तुलना करने पर

εeq = ( ε1 + ε2)

req = (r1+r2)

पूरे परिपथ के लिए ओम के नियम से निम्न समीकरण बनेगा

VA – VC = I R = ε1– Ir1 + ε2 – Ir2

I (R + r1 + r2) = ε1 + ε2

I = ε1 + ε2 / (R + r1 + r2)

I = εeq / (R + req)

निष्कर्ष

सेलो को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाए तो परिणामी विद्युत वाहक बल सेलो के वि. वा.बल के योग के बराबर होता है।

यदि बैटरी की ध्रुवता बदल दी जाये तो ε1 – ε2 की जगह ε2 – ε1 हो जायेगा।

सेलों का समान्तर क्रम संयोजन (parallel combination of cells )

जब एक सेल को दूसरे सेल से इस प्रकार जोड़ा जाये की उनके समान ध्रुवता वाले सिरे आपस में जुड़े हो तो इस प्रकार के संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते है।

अर्थात बैटरी का धनात्मक सिरा अगले बैटरी के धनात्मक सिरे से जुड़ा होगा और इसी प्रकार आगे क्रम चलता रहेगा। जैसा चित्र में दिखाया गया है।

चित्रानुसार दो सेल E1 , E2 समांतर क्रम में जुड़े है जिनके आन्तरिक प्रतिरोध क्रमशः r1 , r2 है। कुल धारा I है तो परिपथ में I1 , I2 के रूप में बंट जाती है।

कुल धारा I = I1 + I2

हम जानते है की समांतरक्रम में विभवांतर समान होता है माना विभवांतर V है अतः

V = ε1– I1 r1

V = ε2 – I2 r2

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