अधिक वर्षा हो जाने के कारण आपके क्षेत्र में बाढ़ आ गई इसलिए लोगों की सहायता के लिए सामग्री एकत्र करने के लिए एक विज्ञापन लिखिए
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Explanation:
विश्वभर में सर्वाधिक बाढ़ के खतरों का सामना कर रहे देशों में भारत का भी नाम आता है। भारत की लगभग सभी नदी बेसिनों में बाढ़ आती है। देश के 35 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में से 22 में बाढ़ आती है। इस कारण 40 मिलियन हेक्टेयर इलाके अर्थात देश के भौगोलिक क्षेत्रफल के लगभग आठवें भाग में बाढ़ का खतरा बना रहता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र तथा बुनियादी सुविधाओं को पहुँची क्षति के आकलन द्वारा निर्णयकों को राहत कार्यों की योजना बनाने में मदद मिलती है। उपग्रह आधारित चित्र विशाल क्षेत्र दर्शाते हैं। अतः, वे बाढ़ग्रस्त इलाकों के विस्तार के मूल्यांकन में सर्वश्रेष्ठ उपादान सिद्ध होते हैं। जैसे ही बाढ़ की सूचना प्राप्त होती है, तुरंत सर्वप्रथम उपलब्ध उपग्रह को बाढ़ग्रस्त इलाकों के सीमांकन के लिए नियोजित किया जाता है। इसके लिए प्रकाशीय व सूक्ष्मतरंग, दोनों प्रकार के उपग्रह आंकड़ों का उपयोग किया जाता है। बाढ़ प्रभावित गांवों व परिवहन नेटवर्क के अलावा बाढ़ में डूबे व बाढ़ से अछूते इलाकों को विभिन्न रंगों से दर्शाते बाढ़ मानचित्र तैयार कर केन्द्र/राज्य की संबंधित एजेंसियों को वितरित किए जाते हैं। विभिन्न बाढ़ग्रस्त इलाकों के ऐतिहासिक आंकड़ों का प्रयोग कर बाढ़ के खतरे वाले इलाकों का सीमांकन किया जा रहा है। असम व बिहार राज्य में जिले के स्तर पर इस प्रकार के खतरों को दर्शाने वाला एटलस तैयार कर लिया गया है। इसके अलावा हवाई सर्वेक्षणों, मौसम के पूर्वानुमान तथा केन्द्रीय जल आयोग द्वारा मौके पर ली गई सूचनाओं को संयोजित कर तैयार की गई नदी रूपाकृति द्वारा बाढ़ का पूर्वानुमान लगने की पद्धति विकसित कर कार्यकारी बनाई जा रही है।