अधिकतम अंक-80
संशोधित नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार
निर्धारित समय: 3 घंटे
1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
वर्तमान युग सुविधावादी युग है। प्राचीन युग में राजा-महाराजाओं के लिए सुलभ सामग्री
वर्तमान में जन-साधारण के लिए उपलब्ध है। फिर भी हर व्यक्ति तनावग्रस्त दिखाई देता
है। उसे पहले से कहीं अधिक चिंताएँ चारों ओर घेरे हुए हैं। हालांकि जहाँ जीवन है, वहाँ
समस्याएँ व कठिनाइयाँ होती ही हैं। ये ही तो जीवन के होने का सबूत होती हैं। उनका
समाधान और प्रतिकार सशक्त विचार, आंतरिक बल और साहस से ही हो सकता है।
आत्मविश्वास की ज्योति प्रज्ज्वलित करने से ही विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है,
समाधान की दिशा प्राप्त हो सकती है। व्यक्ति व परिस्थिति का गहरा सम्बन्ध है जिसे
अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं वह सहजता से विकास कर सकता है।
प्रतिकूल परिवेश में सफलता कठिन होती है। जिसका आत्मबल प्रबल है, वह प्रतिकूल
परिस्थितियों को भी अनुकूलता में बदल सकता है। उसके अभाव में सौभाग्य से प्राप्त
अवसर भी अभिशाप बन जाते हैं। अतः स्वयं को दीन-हीन समझना भी पाप है।
आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार महत्ता की ग्रंथि अर्थात् सुपिरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स व हीनता
की ग्रंथि यानि इनफिरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स-इन दोनों ग्रंथि से जीवन में प्रगति व सफलता
पाने हेतु मुक्ति प्राप्त करना जरूरी है। अतः जीवन में हीनता व भीरूता की भावना को
प्रोत्साहन न दें। आत्मशक्ति का आधार सबल बनाएँ जीवन की धारा को संतुलित व
व्यवस्थित करें। कुछ बड़ा सोचें, ऐसी दुनिया बनाएँ जिसके बारे में हमसे पहले किसी ने
सपना भी न देखा हो।
(क) महत्ता की ग्रंथि व हीनता की ग्रंथि से मुक्ति पाना क्यों आवश्यक है? (2)
(ख) जीवन में अनुकूल व प्रतिकूल परिस्थितियों का क्या प्रभाव पड़ता है? (2)
(ग) प्रबल आत्मबल जीवन में सहायक है। कैसे? (2)
(घ) जीवन की समस्याओं का समाधान कैसे संभव है? (2)
(ङ) आत्मविश्वास का गुण मानव जीवन को किस दिशा में ले जाने में सहायक है? (2)
(च) लेखक मानव को जीवन में कैसी सोच बनाने की प्रेरणा दे रहा है? 2)
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