अधोलिखित अपरित कान्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इन पर आधारित प्रपना का बना
प्रश्न 2
लिखिए।
चया रोको प्रलय का ये, बया विद्युत धन के नर्तन,
मुडौ न साथी रोक सकेंगे, सागर के जैन तर्जन।
अविराम पथिक, अलबेला सका न पर कभी चरण,
शलों के बदले फूलों का किया न न मित्र चयन ।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा का दीप लिए,
फिर मुहाको क्या रोक सके जीवन के उत्थान पतन ।
मैं अटका कब बिचलित मैं, सतत उगर मेरी संबल,
रोक सकी पगले कब मुहाकी यह युग की प्राचीर निबल।
आँधी हो, ओले वर्षा हो, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जग के खंडन पंडन ।
मुझे डरा पाए, कब अंधड़, ज्वालामुखिया के कपन,
मुझे पथिक कब रोक सकें, अग्नि शिखाओं के नर्तन ।
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल विद्युत नर्तन ।
कवि ने किसकी प्रकृति का वर्णन किया है, और कैसे?
(1) पथिक की क्या विशेषता है?
(111) प्रलय मेघ, विद्युत धन, अंधड़, ज्वालामुखी किसके प्रतीक हैं ?
(iv) युग के प्राचीर से कवि का क्या तात्पर्य है?
NM-348
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Pata nahi he
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Pata nahi he
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