अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचय
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हम हिंदी भाषा में ने, को, के लिए का, में , पर आदि परसर्ग का प्रयोग करते हैं। यह परसर्ग शब्द से अलग रहते हैं किंतु संस्कृत भाषा में उसी अर्थ को दर्शाने के लिए विभिन्न शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
•संस्कृत भाषा में कोई भी शब्द अपने मूल रूप में वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता है। वाक्य प्रयोग के समय उसमें रूपांतर आता है उसी को शब्द रूप कहते हैं। जैसे - छात्रः - एक छात्र, छात्रम् - छात्र को , छात्रेण - छात्र द्वारा, छात्राय - छात्र के लिए, छात्रात् - छात्र से , छात्रे - छात्र में / पर इत्यादि।
क्रियापद :
क्रियापद वे पद होते हैं जो क्रिया का बोध कराते हैं। प्रत्येक वाक्य में एक क्रिया पद होता है। प्रत्येक क्रियापद धातु से बनता है और क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। जैसे - पठति - पठ् धातु , खेलसि - खेल् धातु ।
उत्तराणि : -
(क) वाक्यानि → वानराः वृक्षेषु कूर्दन्ति।
(ख) वाक्यानि → सिंहाः वनेषु गर्जन्ति।
(ग) वाक्यानि → मयूराः उद्याने नृत्यन्ति।
(घ) वाक्यानि → मत्स्याः जले तरन्ति।
(ङ) वाक्यानि → खगाः आकाशे उत्पतन्ति।
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