अधोलिखितानां स्वभाषया भावार्थं लिखत- ।
(क) शरीरेऽरिः प्रहरति हृदये स्वजनस्तथा। ।
(ख) नवनृपतिविमर्श नास्ति शङ्का प्रजानाम्।
(ग) यदि न सहसे राज्ञो मोहं धनुः स्पृश मा दयाम्।
(घ) यत्कृते महति क्लेशे राज्ये में न मनोरथः।
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अधोलिखितानां स्वभाषया भावार्थं लिखत- ।
(क) शरीरेऽरिः प्रहरति हृदये स्वजनस्तथा। ।
(ख) नवनृपतिविमर्श नास्ति शङ्का प्रजानाम्।
(ग) यदि न सहसे राज्ञो मोहं धनुः स्पृश मा दयाम्।
(घ) यत्कृते महति क्लेशे राज्ये में न मनोरथः।
व्याख्या -> दुश्मन सीधे हमारे शरीर पर प्रहार करता हैं जिस कारण हमें बहारी शरीर में पीड़ा होती है और स्वजन हमारे दिल पर प्रहार करता है उस दर्द की पीड़ा विना जख्म के हमें हर समय होती है तथा वि घाव दिखाई भी नहीं देता है|
व्याख्या -> नए राजा के विचारों में प्रजा को कोई शंका नहीं है अर्थात प्रजा नए राजा के विचारों से सहमत है उन्हें कोई शंका नहीं है|
व्याख्या -> यदि राज्य का मोह सहन नहीं कर सकते तो धनुष को धारण करो दया को नहीं अर्थात राज्य युद्ध से मिलते हैं दया करके नहीं|
व्याख्या -> जिस कारण इनता क्लेश हुआ है उस राज्य में मेरी कोई इच्छा नहीं है अर्थात जिस राज्य के कारण हमारे परिवार में इनता क्लेश हुआ है उस राज्य में मेरी कोई रूचि नहीं है|