अधोलिखितानां सप्रसङ्ग व्याख्या कार्या
(क) मारुतः कुसुमैः पश्य सौमित्रे! क्रीडन्निव समन्ततः।
(ख) नि:श्वासान्ध इवादर्शश्चन्द्रमा न प्रकाशते।।
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अधोलिखितानां सप्रसङ्ग व्याख्या कार्या....
(क) मारुतः कुसुमैः पश्य सौमित्रे! क्रीडन्निव समन्ततः।
प्रसङ्ग : ये पंक्तियां संस्कृत (शास्तवी), कक्षा 11, द्वितीय पाठः “ऋतु चित्रणम्” से संकलित से ली गयी हैं। ये पाठ आदिकवि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण के किस्किंधा, अरण्य तथा सुंदरकांड अध्यायों से संकलित किया गया है। इस पाठ में सभी छह ऋतुओं का सुंदर एवं मनोहारी वर्णन किया गया है।
व्याख्या ►वसंत ऋतु में हवा के कारण कुछ इधर-उधर बिखरे पड़े हैं, तो बहुत से फूल पौधों पर खिले हैं, ऐसा प्रतीत होता है, कि हवा इन फूलों के साथ क्रीड़ा कर रही है।
(ख) नि:श्वासान्ध इवादर्शश्चन्द्रमा न प्रकाशते।।
प्रसङ्ग : ये पंक्तियां संस्कृत (शास्तवी), कक्षा 11, द्वितीय पाठः “ऋतु चित्रणम्” से संकलित से ली गयी हैं। ये पाठ आदिकवि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण के किस्किंधा, अरण्य तथा सुंदरकांड अध्यायों से संकलित किया गया है। इस पाठ में सभी छह ऋतुओं का सुंदर एवं मनोहारी वर्णन किया गया है।
व्याख्या ►हेमंत ऋतु में चन्द्रमा की कांति फीकी हो गयी है और उसका प्रकाश मलिन हो गया है, बिल्कुल उसी तरह जैसे हम दर्पण पर अपनी श्वास छोड़ते है तो वह दर्पण धुंधला हो जाता है।
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संस्कृत (शास्वती) ◘ कक्षा - 11 ◘ द्वितीय पाठः (पाठ -2)
।। ऋतुचित्रणम् ।।
इस पाठ से संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...▼
संस्कृतेन उत्तरं दीयताम्
(क) अयं पाठः कस्मात् ग्रन्थात् सङ्कलित:?
(ख) वसन्ते समन्ततः गिरिशिखराणि कीदृशानि भवन्ति?
(ग) मारुतः कीदृशैः कुसुमैः क्रीडनिव अवलोक्यते?
(घ) प्रकीर्णाम्बुधरं नभः कथं विभाति?
(ङ) कस्यातिभारं समुद्वहन्तः वारिधराः प्रयान्ति?
(च) वर्षौ मत्तगजा: किं कुर्वन्ति?
(छ) शरदृतौ चन्द्रः कीदृशो भवति?
(ज) कानि पूरयित्वा तोयधराः प्रयाता:?
(झ) अस्मिन् पाठे 'तोयधराः, इत्यस्य के के पर्यायाः प्रयुक्ता:?
(ज) कीदृशः आदर्श: न प्रकाशते?
(ट) शिशिरौ सरित: कै: भान्ति?
https://brainly.in/question/15097853
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रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) समन्तत: ..........शिखराणि सन्ति।
(ख) नभः.......... विभाति।
(ग) वारिधरा: महीधराणां शृङ्गेषु.............प्रयान्तिा ।
(घ) तोयधराः............प्रयाताः।
(ङ) नि:श्वासान्ध आदर्श इव ...न प्रकाशते।
https://brainly.in/question/15097849
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