अधोलिखित-सम्भव-शबानां कृते पाठात् चित्वा संस्कृतपदानि लिखत.
(घ) मधुरसूक्तरस के सूत्र
(ज) अर्थिनः केभ्यः विमुखा न यान्ति?
कृपणः
पूज
मधुमक्खी
तिनका
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मधुर सूक्त के सूत्रों_ मधुमक्खी (२) कृपण
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