अधोलिखितेषु बहुबीहि समास अस्ति
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[नोट- पाठ्यक्रमानुसार इस अध्याय में अव्ययीभाव, कर्मधारय एवं द्वन्द्व समास का अध्ययन ही अपेक्षित है। तथापि पाठ्यपुस्तक में दिए गए इनके अलावा तत्पुरुष, द्विगु एवं बहुव्रीहि समासों को भी यहाँ छात्रों के अतिरिक्त ज्ञानार्जन के लिए दिया गया है।]
समासशब्दस्य व्युत्पत्तिः – सम् उपसर्गपूर्वकात् अर्से (अस्) धातोः घजि प्रत्यये कृते ‘समासः’ इति शब्दो निष्पद्यते । अस्य अर्थः संक्षिप्तीकरणमिति अस्ति। (‘सम्’ उपसर्गपूर्वक ‘अस्’ धातु से ‘ धजि’ प्रत्यय करने पर ‘समास’ शब्द निष्पन्न होती है। इसका अर्थ ‘संक्षिप्तीकरण’ है।)
Step-by-step explanation:
समास ‘संक्षिप्तिकरण’ को समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है। दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा कारक चिह्नों का लोप होने पर उन दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब्द को समास कहते हैं। उदाहरण ‘दया का सागर’ का सामासिक शब्द बनता है ‘दयासागर’।