अधोलिखितक्रियापदानां पद-परिचय 5. पुरुषः प्रथम वचनम् एकवचनम् उदाहर नीचे लिखे क्रियापदों का पद-परिचय लिखिए। (Parse the verbsgiven below.) लकार: धातुः क्रियापदम् भविष्यति- भू लृट् आसीत् धाविष्यथ अपश्यत् उदपतत करिष्यति अमोचयत् =
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STORY
लॉ कडाउन से लोगों की बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति ने मुझे इस कदर आशंकित कर दिया था कि जब भी किसी परिचित का फ़ोन आता, तो मुझे ऐसा लगता था कि मानो वह मुझसे कुछ आर्थिक मदद की गुहार करेगा। इसका एक कारण यह भी था कि पिछले चार-पांच सालों से मेरी आर्थिक स्थिति में काफ़ी सुधार आ गया था। ऐसे ही एक दिन जब मेरे एक परिचित किसान जगन का फ़ोन आया तो मैं सोच में पड़ गया। आज से छह-सात साल पहले तक मेरी परचून की दुकान दूर- दराज की कृषि मंडी में थी। जगन मेरा स्थाई ग्राहक था। वह गरीब अवश्य था पर था बड़ा ईमानदार। अक्सर लंबे समय तक वह मुझसे सामान उधार ले जाता था तथा फसल आने पर मुझे ब्याज सहित.. पैसे लौटा देता था। उस समय मेरी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। फिर एक परिचित का सहयोग पाकर मैं इस शहर में आ गया तथा दुकान खोल ली। यहां आने के सालभर बाद तक जगन का फ़ोन हालचाल के लिए आता रहता था। फिर उसके बाद उसके फ़ोन आने बंद हो गए। अब जब पांच साल बाद उसका फ़ोन आया तो मैंने यह सोचकर उसका फ़ोन नहीं उठाया कि कहीं वह मुझसे कुछ (रुपए) मांग न ले। पर इन पांच सालों में मेरी आर्थिक स्थिति का तो शायद ही उसे पता हो। सो सोच लिया कि इस बार जब उसका फ़ोन आया, ग़रीबी के समय मदद की थी, सो अब मेरा भी फ़र्ज बनता है कि मैं तो अपनी गरीबी का रोना रोकर उससे पल्ला झाड़ लूंगा। फिर शाम आपके लिए कुछ कर सकू, तो पूछ लूं। को उसका दोबारा फ़ोन आ ही गया। अगर कारोबार ठीक नहीं चल रहा हो...तो आप कहें तो मैं कुशलक्षेम के बाद जब उसने मेरे व्यापार के बारे में पूछा, तो आपको बीस हजार रुपए भेज दूंगा। जब सहूलियत हो, तब में मैंने बनावटी चिंता जताते हुए कहा, 'बस कुछ मत पूछो जगन लौटाइएगा' भाई! जैसे-तैसे दिन गुजर रहे हैं और इधर लॉकडाउन ने तो मेरी उसकी बातों में अपनापन देखकर मैं हतप्रभ था। कमर ही तोड़ दी है। अब तुम अपनी सुनाओ, क्या हालचाल है? मैंने कहा, 'जगन भाई! इस आफत काल में आपने मुझे याद खेती-बाड़ी कैसी है? किया, उससे बड़ा सहयोग भला क्या होगा, मैं क़र्जदार नहीं बनना वह बोला, 'सेठजी! आपकी दया से पिछले चार-पांच सालों चाहता, मेरे पास जो कुछ है उसी से काम चला लूंगा।' उसने यह से फसल बहुत अच्छी हुई थी। अब तो मैंने दस बीघा जमीन और कहते हुए कि जब भी कभी जरूरत पड़े निःसंकोच कह दीजिएगा खरीद ली है और खेत में झोपड़ी की जगह एक पक्का मकान भी मुझसे, कहते हुए फ़ोन काट दिया। बनवा लिया है। आपको फ़ोन इसलिए किया था कि आपने मेरी मैं शर्मिंदगी से अपनी ही नजरों में गिरता जा रहा था।
From this story find the भूत काल, वर्तमान काल और भविष्य काल।
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लकार: धातुः क्रियापदम् भविष्यति- भू लृट् आसीत् धाविष्यथ अपश्यत् उदपतत करिष्यति अमोचयत् =
These are converted in Sanskrit
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