Hindi, asked by gauravchaudhry623, 6 months ago

अधोलिखितपीः श्लोकयोः अनुवाद
लिखत
निम्न श्लोक का हिन्दी में आप लिखें।
वने वने विनिवसन्ती वृक्षाः
वनं वनं रचपन्ति वृक्षार
अशाखावीलासीना विहार

तैः किमपि कूजन्ति वृक्षाः।।

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Answered by nirajtiwary2809
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Answer:

स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ।

सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥

अर्थ- किसी भी व्यक्ति का मूल स्वभाव कभी नहीं बदलता है. चाहे आप उसे कितनी भी सलाह दे दो. ठीक उसी तरह जैसे पानी तभी गर्म होता है, जब उसे उबाला जाता है. लेकिन कुछ देर के बाद वह फिर ठंडा हो जाता है.

अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते ।

अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः ॥

अर्थ- बिना बुलाए स्थानों पर जाना, बिना पूछे बहुत बोलना, विश्वास नहीं करने लायक व्यक्ति/चीजों पर विश्वास करना…. ये सभी मूर्ख और बुरे लोगों के लक्षण हैं.

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