India Languages, asked by thomasphilipt7220, 11 months ago

अधोलिखितश्लोकेषु छन्दो निर्दिश्यताम्-
यथा-अस्ति यद्यपि............॥अनुष्टुप् छन्दः।
(क) तावत् कोकिल .......... समुल्लसति।।
(ख) स्वायत्तमेकान्त ........ मौनमपण्डितानाम्।।
(ग) विपदि धैर्यमथा .............महात्मनाम्।।
(घ) पापान्निवारयति..........प्रवदन्ति सन्तः।।
(ङ) केयूराणि न ............. भूषणम्।।

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Answered by coolthakursaini36
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अधोलिखितश्लोकेषु छन्दो निर्दिश्यताम्-

यथा-अस्ति यद्यपि............॥अनुष्टुप् छन्दः

(क) तावत् कोकिल .......... समुल्लसति।। आर्या छन्दः

(ख) स्वायत्तमेकान्त ........ मौनमपण्डितानाम्।। उपजाति छन्दः

(ग) विपदि धैर्यमथा .............महात्मनाम्।। द्रुतविलम्बित छन्दः

(घ) पापान्निवारयति..........प्रवदन्ति सन्तः।। वसन्ततिलका छन्दः

(ङ) केयूराणि न ............. भूषणम्।। शार्दूलविक्रीडित छन्दः

छन्द-> पद्य लिखते समय वर्णों की एक निश्चित व्यवस्था करनी पड़ती है, यह व्यवस्था छन्द या वृत्त कहलाती है।

वृत्त के भेद

प्राय: प्रत्येक पद्य में 4 भाग होते हैं जो पाद या चरण कहलाते हैं| जिस वृत्त के चारों चरण के बराबर अक्षरों हों उसे संवृत कहलाते हैं| जिसके प्रथम और तृतीय तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण अक्षरों की दृष्टि से समान हो वे अर्ध संवृत कहलाते हैं जिनके चारों चरणों में अक्षरों की संख्या सम्मान ना हो हुए विषमवृत कहे जाते हैं।

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