Geography, asked by gourvishal43, 10 months ago

अधीनतामूलक मित्रता नीति
हड़प नीति
गर्वनर जनरल
समयकाल
प्रभावित राज्य
1.
2.
मूल नीति
1.
2.

Answers

Answered by blackberrysk
11

Answer:

Explanation:।पैतृक वारिस के न होने की स्थिति में सर्वोच्च सत्ता कंपनी के द्वारा अपने अधीनस्थ क्षेत्रों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की नीति व्यपगत का सिद्धान्त या हड़प नीति कहलाती है। यह परमसत्ता के सिद्धान्त का उपसिद्धांत था, जिसके द्वारा ग्रेट ब्रिटेन ने भारतीय उपमहाद्वीप के शासक के रूप में अधीनस्थ भारतीय राज्यों के संचालन तथा उनकी उत्तराधिकार के व्यवस्थापन का दावा किया।

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Answered by anushkan477
8

Explanation:

उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला को नीति (Policy) कहते हैं। नीति, सोचसमझकर बनाये गये सिद्धान्तों की प्रणाली है जो उचित निर्णय लेने और सम्यक परिणाम पाने में मदद करती है। नीति में अभिप्राय का स्पष्ट उल्लेख होता है। नीति को एक प्रक्रिया (procedure) या नयाचार ( नय+आचार / protocol) की तरह लागू किया जाता है।

भारतीय साहित्य में नीति काव्य का उद्भव संपादित करें

नीति काव्य का उद्भव विश्व साहित्य के प्राचीनतम ग्रन्थ ऋग्वेद से माना गया है। इसके साथ ही ब्राह्मण ग्रन्थों , उपनिषदों, रामायण, महाभारत में धर्म और नीति का सदुपदेश सम्मिलित है। इन नीति ग्रन्थों में तत्व ज्ञान और वैराग्य का सुन्दर सन्निवेश है। इनमें प्रायः सभी धार्मिक विश्वासों का उल्लेख और उपदेश हे। इन नीति ग्रन्थों में लोक जीवन के व्यवहार में आने वाली बातों पर विचार करने के साथ ही साथ जीवन की असारता का निरूपण कर मानव मात्र को ’मोक्ष’ के साधन का उपदेश भी है। भारतीय नीति के अन्तर्गत धर्म एवं दर्शन भी समाहित हो जाते हैं इसीलिए नीति काव्य का उद्भव स्मृति ग्रन्थों से भी माना जाता है। महाभारत के दो बड़े प्रसगों की श्रीमद्भागवद्गीता एवं विदुरनीति तो स्वयं ही नीति काव्य से सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। भगवद्गीता तो भारतीय संस्कृति का अनमोल रत्न है जिसके माध्यम से हमें जीवन की असारता, आत्मा की अमरता, निष्काम कर्मवाद आदि की शिक्षा मिलती है। इसी प्रकार विदुर नीति में भी कुल धर्म, स्वधर्म, राजधर्म, विश्व धर्म व आत्म धर्म के विविध स्वरूपों को देखा जा सकता हे। निम्नलिखित श्लोक में सद्गृहस्थ के घर में चार लोगों का निवास आवश्यक बताया गया है -

चत्वारि ते तात गृहे वसन्तु श्रियाभिजुष्टस्य गृहस्थधर्म

वृद्धो ज्ञातिरवसन्नः कुलीनः सखा दरिद्रो भगिनी चानपत्या

अर्थात् हे तात, गृहस्थ जीवन में, आप जैसे लक्ष्मीवान् के घर में चार जन सदा निवास करते रहें - कुटुम्ब का वृद्धजन, संकट में पड़ा हुआ उच्च कुल का व्यक्ति, निर्धन मित्र और निःसं

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