Hindi, asked by rudrakvyas, 1 month ago


अधोदतस्य श्लोकस्य अनुवाद कृत्वा बोधेन सहित अर्थविस्तार कुरुत :-
श्रध्धावान लभते ज्ञानं तत्पर : सयतेन्द्रियः ।
ज्ञानं लब्ध्वा थरा शान्तिमचिरेणाघीगच्छति//​

Answers

Answered by bhabanipatra211
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Answer:

श्रद्धावान्, तत्पर और जितेन्द्रिय पुरुष ज्ञान प्राप्त करता है। ज्ञान को प्राप्त करके शीघ्र ही वह परम शान्ति को प्राप्त होता है।।

Explanation:

जिसके द्वारा निश्चय ही ज्ञानकी प्राप्ति हो जाती है वह उपाय बतलाया जाता है श्रद्धावान् श्रद्धालु मनुष्य ज्ञान प्राप्त किया करता है। श्रद्धालु होकर भी तो कोई मन्द प्रयत्नवाला हो सकता है इसलिये कहते हैं कि तत्पर अर्थात् ज्ञानप्राप्तिके गुरुशुश्रूषादि उपायोंमें जो अच्छी प्रकार लगा हुआ हो। श्रद्धावान् और तत्पर होकर भी कोई अजितेन्द्रिय हो सकता है इसलिये कहते हैं कि संयतेन्द्रिय भी होनाचाहिये। जिसकी इन्द्रियाँ वशमें की हुई हों यानी विषयोंसे निवृत्त कर ली गयी हों वह संयतेन्द्रिय कहलाता है। जो इस प्रकार श्रद्धावान् तत्पर और संयतेन्द्रिय भी होता है वह अवश्य ही ज्ञानको प्राप्त कर लेता है। जो दण्डवत्प्रणामादि उपाय हैं वे तो बाह्य हैं और कपटी मनुष्यद्वारा भी किये जा सकते हैं इसलिये वे ( ज्ञानरूप फल उत्पन्न करनेमें ) अनिश्चित भी हो सकते हैं। परंतु श्रद्धालुता आदि उपायोंमें कपट नहीं चल सकता इसलिये ये निश्चयरूपसे ज्ञानप्राप्तिके उपाय हैं। ज्ञानप्राप्तिसे क्या होगा सो ( उत्तरार्धमें ) कहते हैं ज्ञानको प्राप्त होकर मनुष्य मोक्षरूप परम शान्तिको यानी उपरामताको बहुत शीघ्रतत्काल ही प्राप्त हो जाता है। यथार्थ ज्ञानसे तुरंत ही मोक्ष हो जाता है यह सब शास्त्रों और युक्तियोंसे सिद्ध सुनिश्चित बात है।

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