अधिवास कविता के मूल भाव को स्पष्ट कीजिए ?
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इस कविता का मूल भाव यह है कि जीवन एक संघर्ष के समान है, जिसे कवि अग्निपथ मानता है। इस मार्ग पर आत्मविश्वास के साथ मनुष्य को आगे बढ़ना है। किसी के सहारे की इच्छा नहीं करनी चाहिए।
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Suryakant Tripathi Nirala
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी १८९६-१५ अक्टूबर १९६१) का जन्म बंगाल की रियासत महिषादल (जिला मेदिनीपुर) में हुआ था। वह हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। वे हिन्दी में मुक्तछंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं। वह कवि, उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार और अनुवादक थे। उनके काव्यसंग्रह हैं: अनामिका1923, परिमल1930, गीतिका1936, द्वितीय अनामिका1938, तुलसीदास1938, कुकुरमुत्ता1942, अणिमा1943, बेला1946, नये पत्ते1946, अर्चना1950, आराधना1953, गीत कुंज1954, सांध्य काकली। अपरा और रागविराग में उनकी चुनी हुई रचनाएं हैं ।