अध्याय 1 में मौलिक अधिकारों की सूची दी गई है। उसे फिर पढ़े। आपको ऐसा क्यों लगता है कि संवैधानिक उपचार का अधिकार न्याययिक समीक्षा के विचार से जुड़ा हुआ है?
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हमें ऐसा इसलिए लगता है कि संवैधानिक उपचार का अधिकार न्याययिक समीक्षा के विचार से जुड़ा हुआ है क्योंकि संवैधानिक उपचारों का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय का को मौलिक अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं का अंतिम एवं सर्वोच्च संरक्षक बनाता है। भारतीय संविधान अपने नागरिकों को 6 प्रकार के अधिकार प्रदान करता है। लोगों के अधिकारों का कोई लाभ नहीं यदि उन्हें न्यायिक सुरक्षा प्राप्त न हो। सर्वोच्च न्यायालय का यह क्षेत्राधिकार और ज़िम्मेदारी है, कि वह मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए 'हेबियस कार्पस' जैसे लेख जारी करें। वास्तव में संवैधानिक उपचारों का अधिकार न्यायिक पुननिरीक्षण से जुड़ा हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय किसी भी कानून को असंगत और अवैध घोषित कर सकता है, यदि वे मौलिक अधिकारों की अवहेलना करता है। उदाहरण के लिए 1967 में गोलकनाथ मुकद्दमे में , सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि संसद संविधान में संशोधन नहीं कर सकती। सर्वोच्च न्यायालय 42 वें संशोधन के सेक्शन 4 को भी हटा दिया, क्योंकि यह सेक्शन नीति निर्देशक सिद्धांतों को मौलिक अधिकारों पर अभिमान देता था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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आप पढ़ चुके हैं कि 'कानून को कायम रखना और मौलिक अधिकारों को लागू करना' न्यायपालिका का एक मुख्य काम होता है। आपकी राय में इस महत्त्वपूर्ण काम को करने के लिए न्यायपालिका का स्वतंत्र होना क्यों जरूरी है?
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सुधा गोयल मामले को ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए बयानों को पढ़िए। जो वक्तव्य सही हैं उन पर सही का निशान लगाइए और जो गलत हैं उनको ठीक कीजिए।
(क) आरोपी इस मामले को उच्च न्यायालय लेकर गए क्योंकि वे निचली अदालत के फैसले से सहमत नहीं थे।
(ख) वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ़ उच्च न्यायालय में चले गए।
(ग) अगर आरोपी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं तो दोबारा निचली अदालत में जा सकते हैं।
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