Social Sciences, asked by ratnaratna98984, 6 months ago

अध्यकालीन इस्लामी jgat
ही शहरीकरण की मुख्य विषेशतार
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Answered by vivekbt42kvboy
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Answer:अखबारी रिपोर्टों पर भरोसा करें तो अगले दो महीनों में भारत की पहली व्यापक राष्ट्रीय शहरी नीति तैयार हो जायेगी। हांलाकि यह निस्संदेह एक स्वागतयोग्य कदम है लेकिन नीतिनिर्धारकों को साथ ही साथ पिछली नीतियों की विफलताओं और कमियों का भी मूल्यांकन करना चाहिए। इस दौरान ये भी आकलन होना चाहिए कि देश भर में खासकर महानगरों और पहली और दूसरी श्रेणी के शहरों में शहरीकरण की प्रक्रिया क्यों बेतरतीब नजर आती है। अन्यथा पिछली गलतियां दोहराये जाने का खतरा बना रहेगा जिसे संभाल पाना भारत के लिए मुश्किल होगा, ऐसी स्थिति में जबकि अनुमान है कि 2030 तक भारत की संभावित 1.5 अरब आबादी का 50 फीसदी हिस्सा शहरों में निवास करेगा।

तीस वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया जब 1985 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय शहरीकरण आयोग (एनयूसी) का गठन किया था और मुंबई के नामी आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया को इसकी कमान सौंपी थी। आयोग के गठन के पहले 1981 में हुई राष्ट्रीय जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक भारत की शहरी आबादी 15.9 करोड़ यानि देश की तत्कालीन आबादी की 23.3 प्रतिशत थी। वर्ष 2011 की राष्ट्रीय जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक शहरी आबादी 37.7 करोड़ थी जो कुल आबादी का 31.2 प्रतिशत था। यूएन-हैबिटैट के वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट 2016 के हालिया आकलन के मुताबिक भारत की शहरी आबादी 2015 में 42 करोड़ थी।

इन आंकड़ों में निश्चित तौर पर परोक्ष शहरीकरण का आकलन नहीं किया गया है जिसको जोड़ा जाये तो शहरी आबादी और ज्यादा हो सकती है। आबादी का आकलन भले ही वास्तविकता से कम हो लेकिन भारत की प्रस्तावित नयी राष्ट्रीय शहरी नीति विश्व की दूसरी सबसे बड़ी शहरी व्यवस्था के लिए कार्ययोजना पेश करने के लिए तैयार है।

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