Hindi, asked by amitkr21000k, 7 months ago

अधर धरत हरि के परत, ओठ डीठि पट जोति।
हरित बाँस की बाँसुरी, इन्द्र धनुष सी होति।।५।। अर्थ सहित (संदर्भ, प्रसंग,व्याख्या, विशेष)​

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Answered by bhatiamona
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अधर धरत हरि के परत, ओठ डीठि पट जोति।

हरित बाँस की बाँसुरी, इन्द्र धनुष सी होति।।५।।

संदर्भ : यह पंक्तियाँ बिहारी सतसई / भाग 3 / बिहारी द्वारा ली गई है |

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियों में बाँसुरी बजाते हुए कृष्ण की हरे रंग की बाँसुरी का इन्द्रधनुषी रूप का वर्णन किया गया है |

व्याख्या : श्री कृष्ण जी जैसे ही अपने होठों पर हरे रंग की बांसुरी रखत है , वैसे ही उन्हें उनके काले नैनो का रंग और उनके पहने हुए पीले रंग के वस्त्रों का पीला रंग, उस हरे बांस की बांसुरी पर पड़ता है तो वह हरे रंग के बांस की बांसुरी इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह चमक उठती है |

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