Business Studies, asked by Lohrifestival3945, 2 days ago

Ati punjikaran k Karan v prabhav

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Answered by sneha7366
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Answer:

अति पूँजीकरण अंशधारियों एवं कम्पनी के व्यापक हित में वांछनीय नहीं है। इसके फलस्वरूप लाभांश की दर कम होती है, अंशों के बाजार मूल्य में कमी आती है और अधिक कोष एकत्र करने में कठिनाई आती है।

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