atit mein ladkiyon ko Vidyalay kyon nahin bheja jata tha Sultana ka Swapan Kahani kisne likhi
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सुल्ताना का स्वप्न , 1905 की एक नारीवादी काल्पनिक कहानी है जिसे रुक़य्या सख़ावत हुसैन ने लिखा था। वे बंगाल एक मुसलमान नारीवादी, लेखक एवं समाज सुधारक थीं । [1] [2] यह उसी वर्ष मद्रास स्थित अंग्रेजी आवधिक-पत्रिका द इंडियन लेडीज मैगज़ीन में प्रकाशित हुई थी। [3] [a]
इस कहानी में एक नारीवादी आदर्श राज्य की कल्पना है, (जिसे स्त्रीदेश कहा जाता है) जिसमें सब कुछ महिलायें चलाती हैं और पारंपरिक पर्दा प्रथा की तरह, किंतु उससे उलट यहाँ पुरुष पर्दे में रहते हैं। महिलाओं को विज्ञान कथा-सम्मयूत "विद्युत" तकनीक से सहायता प्राप्त होती है जो उन्हें श्रमहीन खेती करने और उड़ने वाली गाड़ीयों का प्रयोग करने में सक्षम बनाती है; महिला वैज्ञानिकों ने इसकी भी खोज कर ली है कि सौर ऊर्जा को कैसे उपयोग किया जाए और मौसम को कैसे नियंत्रित किया जाए। इसके परिणामस्वरूप "यहाँ एक प्रकार से भूमिकाएं उलट जाती हैं और एक तकनीकी रूप से उन्नत भविष्य में, पुरुषों को बांध कर रखा जाता है।" [4]
वहां, पारंपरिक रूढ़िवादिता जैसे "पुरुषों में बड़ा दिमाग होता है" और महिलाएं "स्वाभाविक रूप से कमजोर होती हैं" को इन तर्कों से खारिज किया जाता है कि यद्यपि "एक हाथी के पास भी बड़ा और भारी दिमाग होता है" और "शेर एक आदमी से ज्यादा मजबूत होता है" और फिर भी उनका पुरुषों पर वर्चस्व नहीं है। [3] स्त्रीदेश (लेडीलैंड) में अपराध को अब नहीं है, क्योंकि पुरुषों को इसके लिए जिम्मेदार माना गया था। कार्यदिवस अब केवल दो घंटे लंबा है, क्योंकि पुरुष धूम्रपान में प्रत्येक दिन के छह घंटे बर्बाद करते थे। प्रेम और सत्य ही धर्म हैं। पवित्रता को सबसे ऊपर रखा जाता है- जैसे कि "पवित्र संबंधों" (महरम ) की सूची व्यापक रूप से विस्तारित की जाती है।