Auchad lakhan on lalaj bur i bala hai for class 6
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लालच बुरी बला है इस कथन में सौ-प्रतिशत सत्यता है। लालच करके अक्सर हम कोई ऐसी मुसीबत मोल ले लेते हैं जो हमारे लिए नुकसानदायक ही होती है। इस कारण कहा गया है कि लालच बुरी बला है।
कोई भी लालच ज्यादा समय तक नहीं टिक पाता एक ना एक दिन उस लालच का दुष्परिणाम सामने आना ही होता है। इसके लिए हमें सदैव लालच करने से बचना चाहिये। अगर हम किसी लालच के जाल में फँस भी गये हैं तो समय रहते उससे बाहर आ जायें। अगर हम समय रहते लालच की प्रवृत्ति को त्याग देंगे तो शायद हम लालच के दुष्परिणाम से बच भी सकते हैं।
यहां पर उदाहरण के लिये एक कहानी बताते हैं। हम सब ने बचपन में वह कहानी अवश्य अपनी स्कूल की किताबों में पढ़ी होगी कि कैसे एक व्यक्ति ने एक मुर्गी पाल रखी थी और वह मुर्गी उसे रोज एक अंडा देती थी। एक दिन उस व्यक्ति ने सोचा यह मुर्गी एक अंडा ही देती है। इसके पेट में तो बहुत सारे अंडे होंगे तो क्यों ना उसका पेट चीरकर एक साथ ही सारे अंडे निकाल लूँ। ऐसा सोचकर उसने उस मुर्गी को मार डाला और चाकू से उसका पेट चीरा तो उसमें कुछ नहीं था। इस प्रकार लालच में आकर उस मुर्गी को भी गवां बैठा और उसे रोज जो एक अंडा मिलता था उससे भी हाथ धो बैठा। अगर वह व्यक्ति लालच नहीं करता रोज एक अंडे से ही संतुष्ट रहता तो उसे लंबे समय तक अंडा मिलता रहता। लेकिन उसने लालच किया और जो मिलता था उसे भी गवा बैठा।
हमारे जीवन में भी अक्सर हमारे साथ ऐसा ही होता है। हम किसी ना किसी बात पर लालच कर बैठते हैं और अधिक पाने की लालसा में कुछ ऐसा कार्य कर देते हैं कि हमारे पास जो कुछ होता है हम उसे भी गंवा बैठते हैं। लालच हमारे चरित्र हनन भी करता है। लालच दूसकों का हक मारने की एक प्रवृत्ति है। लालच का मतलब ही अपनी जरूरत से अधिक पाने का प्रयास करना। और जब हम अपनी जरूरत से ज्यादा हासिल करने की कोशिश करते हैं तो कहीं न कहीं किसी का हक मार रहे होते हैं।
लालच समय हमेशा नुकसान ही देता है। लालच करने से हमें भले तुरंत फायदा होता दिखता हो लेकिन आखिर में लालच करने से नुकसान ही होता है। इसीलिए कहते हैं लालच बुरी बला है।