Hindi, asked by ishangadekar45, 3 months ago

autobiography in hindi of our own

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Answered by prachijain195
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You can take help from this. It's my coache's biography written by me. Hope it helps.

हाथों की लकीरें सिर्फ मौका देती हैं पर कठिन परिश्रम पूरी दुनिया को चौका देती है। इस पंक्ति को साबित किया है कराटे के इंटरनेशनल प्लेयर और कोच प्रकाश साहू ने। इन महानुभाव खिलाडी का जन्म 7 जून, 1995 में झारखंड के जमशेदपुर में हुआ और बचपन छतीसगढ़ में बिता। प्रकाश जी ने आठवीं छतीसगढ़ में की और उसके बाद उनके पिता के ट्रांसफर के कारण वह पंजाब के ब्यास शहर में रहने लगे और वहीं पढ़ाई भी की। सर्व शिक्षा अभियान के तहित प्रकाश जी ने नौंवी कक्षा से ही कराटे ट्रेनिंग अपने स्कूल से ही शुरू की। शुरुआत से ही प्रकाश जी पढ़ाई के साथ साथ खेलों में भी अच्छे थे। प्रकाश जी बचपन से ही क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे। जमशेदपुर की गलियों में तो प्रकाश जी घरों के शीशे तोड़ने के लिए प्रसिद्ध थे। अगर किसी के घर का शीशा गेंद से टूटता तो कहते थे कि यह नटखट प्रकाश ही होगा। प्रकाश जी को सभी कहते थे कि तुम बड़े होके क्रिकेटर ही बनना। पर होनी को कौन टाल सकता है। जब नौवीं में प्रकाश जी ने कराटे ट्रैनिंग लेनी शुरू की तब उन्होंने यह ठान लिया था कि वह कराटे में ही आगे जाएगे। पर किस्मत की मार देखो 2016 में जब अभी प्रकाश जी को बारवीं किए सिर्फ दो साल हुए थे तब उनकी माँ का रोड एक्सीडेंट में दिहान्त हो गया। कम उम्र में ही माँ का साया चला गया और भाई बहनों में बड़े होने के कारण सारा बोझ प्रकाश जी के कन्दों पर आ गया। पर प्रकाश जी का कहना है कि न संघर्ष न तकलीफ तो क्या मजा है जीने में, बड़े बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी ही सीने में। और यह प्रकाश जी ने साबित भी किया। प्रकाश जी ने अपना पहला इंटरनेशनल भी पार्ट टाइम जॉब करके खेला था। पहले वह पढ़ने जाते, फिर पार्ट टाइम जॉब करते और फिर प्रैक्टिस करते। उस टूर्नामेंट पे प्रकाश जी दूसरे स्थान पे आए थे। लोगों की नज़रों में तो उन्होंने सफलता प्राप्त कर ली थी, पर प्रकाश जी को इस बात का पछतावा था कि कम समय होने के कारण वह पहला दर्जा न हासिल कर पाए और प्रकाश जी का मानना है कि हाल ए दिल बया करके कुछ नही होगा, होना तो वही है जो कबूल ए खुदा होगा। और प्रकाश जी का यह भी मानना है कि भगवान भी उसी की मदद करता है जो खुद की मदद करता है। तो यही सोच कर उन्होंने फिर से जीतोड़ प्रैक्टिस करनी शुरू की, जिसके परिणाम स्वरूप प्रकाश जी 6 बार डिस्ट्रिक्ट, 10 बार स्टेट, 11 बार नेशनल 12 बार इंटरनॅशनल में पहला दर्जा हासिल किया और वह 4 बार मलेशिया, दुबई, थाईलैंड, श्रीलंका, शारजाह जैसे चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट कर चुके हैं और उनका कहना है कि वो अपने परिवार में से एकलौते ऐसे सदस्य हैं जो इस मुकाम तक पहुँचे हुए हैं। उनकी मेहनत की बदौलत आज वह taekwondo ब्लैकबेलटिस्ट, KAI में ब्लैकबेलटिस्ट, नैशनल जज और रैफरी हैं, पंजाब सैशन KAI कराटे एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी हैं और बहुत जल्द ही चीफ इंस्ट्रक्टर और एसोसिएशन के जनरल सिकरेट्री बनने वाले हैं। अभी तक प्रकाश जी 2 टूर्नामेंट और 1 एडवांस कुमिते ट्रेनिंग कैम्प करवा चुके है। अभी प्रकाश जी ब्यास में ट्रेनिंग सेंटर में कोचिंग देते हैं। प्रकाश जी अच्छे खिलाड़ी होने के साथ साथ बहुत बढ़िया कोच भी हैं। प्रकाश जी के स्टूडेंट्स कॉमन वेल्थ में कई बार झंडे गाड़ के आए हैं। प्रकाश जी ने हाल ही में अपने 2 स्टूडेंट्स को कॉमनवैल्थ कराटे चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करवाया जो साउथ अफ्रीका में आयोजित हुआ था। वो अपने आप पे गर्व महसूस करते है कि वो कॉमनवेल्थ में देश के लिए अपने स्टूडेंट्स को पार्टिसिपेट करवाते हैं। प्रकाश जी छोटे से कस्बे से निकल के यहाँ तक अकेले अपने बलबूते पे पहुँचे और ऐसा ही कुछ वह अपने बलबूते पे पहुंचे और ऐसा ही कुछ वह अपने स्तुन्डेंट्स को भी देखना चाहते है। इतने संघर्षों के बाद से प्रकाश जी में देशभक्ति की भावना कुछ इस प्रकार जगी कि उन्होंने अपने कई स्टूडेंट्स को ITBP में भरती कर वाया। प्रकाश जी दिल के बहुत नेक हैं। वह बच्चों को फ्री ट्रेनिंग भी देते हैं। प्रकाश जी ने अपनी ज़िंदगी में कई मुश्किलों का सामना किया, बहुत कुछ सहा, बहुत संघर्ष किया, जिस कारण वह आज सफ़ल हैं। प्रकाश जी के जीवन से सबसे बड़ी सीख यह है कि

ज़िन्दगी जीने का तरीका उन्हीं लोगों को आया है,

जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में हर जगह धक्का खाया है,

जमाया है सर्द रातों में खुद को तपती धूप में खुद को तपाया है,

वही हुए है सफल ज़िन्दगी में, उन्होंने ही इतिहास रचाया है।

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