Autobiography of poet hans kumar tiwari don't copy it from google.I will mark as brainliest to the first answer
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कवि हंस कुमार तिवारी की जीवनी (आटोबायोग्राफी)
‘हंस कुमार तिवारी’ हिंदी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार थे> यह एक स्वतंत्र लेखक, पत्रकार, संपादक, आलोचक आदि थे। आलोचना के क्षेत्र में इनकी रचनाएं अद्भुत रही हैं।
‘हंस कुमार तिवारी’ का जन्म 15 अगस्त 1918 को ‘मानभूम’ नामक कस्बे में हुआ था, जो अब बंगाल में है। इनकी आरंभिक शिक्षा-दीक्षा बांग्ला भाषा में ही हुई। पारिवारिक परिस्थितयों के कारण इनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई और यह अधिक शिक्षा हासिल नहीं कर पाए।
हंस कुमार तिवारी जीवन में निरंतर संघर्ष करते रहे और उन्होंने स्वतंत्र लेखन तथा पत्रकारिता आरंभ कर दी। उनकी प्रथम साहित्यिक रचना ‘कला’ नामक पुस्तक के रूप में सन् 1938 में प्रकाशित हुई। यह पुस्तक एक आलोचनात्मक शैली की पुस्तक थी। इस पुस्तक में उन्होंने आलोचना के विभिन्न वैज्ञानिक पक्षों का विवेचन प्रस्तुत किया था।
हंस कुमार तिवारी स्वतंत्र ने लेखक और पत्रकार होने के साथ साथ संपादक की भूमिका भी निभाई। उस समय 1938 से 1939 के बीच में उन्होंने पटना से प्रकाशित साप्ताहिक पत्र ‘बिजली’ का संपादन किया। इन्होंने भागलपुर से एक मासिक पत्रिका निकाली। इन्होंने ‘किशोर’ नामक मासिक पत्रिका का संपादन किया। ये ‘ऊषा’ नामक पत्रिका के संपादक भी रहे।
सन 1951 में बिहार सरकार में राजभाषा पदाधिकारी के पद पर नियुक्त हुए और जीवन पर्यंत उस पद पर कार्य किया। इनकी पुस्तक प्रथम पुस्तक का नाम ‘कला’ था तो इनकी अन्य साहित्यिक रचनाएं है जैसे कि निबंध संग्रह ‘साहित्यिका’, ‘साहित्यायन’ और ‘संचयन’ आदि प्रमुख हैं। इनके कविता संग्रह नाम ‘रिमझिम’, ‘अनागत’, ‘नवीना’, ‘मकड़ी मर गयी’ आदि हैं, इनके कहानी संग्रह ‘बदला और ‘समानांतर’ हैं। इनके द्वारा नाटको के नाम हैं, ‘आधी रात का सवेरा’, ‘पुनरावृत्ति’, ‘आकाश-पाताल’ आदि हैं।
हंस कुमार तिवारी ने अनुवाद के क्षेत्र में भी अपने हाथ आजमाये और बांग्ला भाषा को अपने अनुवादिक कार्य का माध्यम बनाया। इन्होंने अनेक बांग्ला कृतियों का हिंदी में अनुवाद किया। इन्होंने बेहद सरल भाषा में अनुवाद करके आम पाठकों के लाभान्वित किया है।
Hans Kumar Tiwari was a famous poet who contributed his life for the welfare of the nation but he was unknown by the future generation.
EXPLANATION:
- Hans Kumar Tiwari was born on the year of 1918, is a renowned literary poet and freedom fighter. His first poem was published in the year 1938. He wrote many motivational and inspirational poems for children. He wrote poems about the nation India and the brave soldiers who fought for the freedom of the country.
- His last poem is very touching and in that he said that many people including him, who contributed for the freedom of the country (he died and lit the lamp of new era) were unsung and unheard by people of India.