Hindi, asked by vinaysmart, 1 year ago

autobiography of sound in hindi

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Answered by kvnmurty
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                                        ध्वनि

       मैं तो इस संसार में एक महान शक्ति हूँ ।   दुनिया में  शक्ति  बहुत रूपों में प्रकट होती है ।   वे हैं आकाश में  सूरज का प्रकाश (रोशन), ध्वनि, बिजली, मागनेट वाली अयस्कांत आकर्षण  शक्ति,  हवा चलने की शक्ति, समुंदर की  लहरों की शक्ति, भूमि की   आकर्षण शक्ति ।     मैं ध्वनि  हूँ   और  शब्दों और आवाज  के रूप में  सब को  सुनाई पड़ती हूँ ।  

       मनुष्य और सब जानवरों के इंद्रिर्यों में दो कानों से मैं सब को सुनाई पड़ती हूँ ।  पेड़ और पौधे भी मुझे सुन सकते हैं ।    मैं  अदृश्य रूप में हवा में ,  पानी  में, और सब छीजो मे   लहराते हुए कानों तक पहुंचता हूँ ।   मैं  दिखाई नहीं देती, सिर्फ सुनाई पढ़ती हूँ।   कुछ जानवर सिर्फ मेरी  शक्ति से  अपने  परिसर को पहचानते हैं।   कुछ जानवर  उनके आवाजों से  अपने लोगों कों पहचानते हैं ।

      जब भी कुछ चीज बहुत तेजी से हिलती है या  कांपती है, मैं पैदा होती हूँ।  जब कुछ चीजें  टकराती  हैं , तब भी मैं पैदा होती हूँ।  मैं सब के गलों में हुई स्वरपेटी से निकलती हूँ।   सब लोग और जानवर एक दूसरों से बातें करने में और समझने में  मदद करता हूँ ।    अच्छी    संगीत  सुनने के लिए  मेरी जरूरत हैं।  संगीत सिर्फ ध्वनि  के रूप में  कानों में पहुँचती है।   

     अगर मैं नहीं होती, मनुष्य जात आगे नहीं बढ़ता ।   एक के अंदर के भाव दूसरा नहीं समझ नहीं पाता ।   सोचो  कितना मुश्किल होता  जीना ।

   ध्वनि  अच्छी बातों में,  सुरीले  संगीत की रूप में,    सब के मन  भाता हूँ ।  लेकिन  ध्वनी के  प्रदूषण से लोग बहुत परेशान होते हैं ।  कुछ लोग ध्वनि का प्रदूषण  फैलाते हैं ।
 



kvnmurty: click on thanks button above please
anushkarai: nice essay
shriyaagvns: This essay helped me in my homework. Thanks :D
kvnmurty: :)
srr: Very much thank full to you
Answered by sciencetech901
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मैं तो इस संसार में एक महान शक्ति हूँ ।   दुनिया में  शक्ति  बहुत रूपों में प्रकट होती है ।   वे हैं आकाश में  सूरज का प्रकाश (रोशन), ध्वनि, बिजली, मागनेट वाली अयस्कांत आकर्षण  शक्ति,  हवा चलने की शक्ति, समुंदर की  लहरों की शक्ति, भूमि की   आकर्षण शक्ति ।     मैं ध्वनि  हूँ   और  शब्दों और आवाज  के रूप में  सब को  सुनाई पड़ती हूँ ।  

       मनुष्य और सब जानवरों के इंद्रिर्यों में दो कानों से मैं सब को सुनाई पड़ती हूँ ।  पेड़ और पौधे भी मुझे सुन सकते हैं ।    मैं  अदृश्य रूप में हवा में ,  पानी  में, और सब छीजो मे   लहराते हुए कानों तक पहुंचता हूँ ।   मैं  दिखाई नहीं देती, सिर्फ सुनाई पढ़ती हूँ।   कुछ जानवर सिर्फ मेरी  शक्ति से  अपने  परिसर को पहचानते हैं।   कुछ जानवर  उनके आवाजों से  अपने लोगों कों पहचानते हैं ।

      जब भी कुछ चीज बहुत तेजी से हिलती है या  कांपती है, मैं पैदा होती हूँ।  जब कुछ चीजें  टकराती  हैं , तब भी मैं पैदा होती हूँ।  मैं सब के गलों में हुई स्वरपेटी से निकलती हूँ।   सब लोग और जानवर एक दूसरों से बातें करने में और समझने में  मदद करता हूँ ।    अच्छी    संगीत  सुनने के लिए  मेरी जरूरत हैं।  संगीत सिर्फ ध्वनि  के रूप में  कानों में पहुँचती है।   

     अगर मैं नहीं होती, मनुष्य जात आगे नहीं बढ़ता ।   एक के अंदर के भाव दूसरा नहीं समझ नहीं पाता ।   सोचो  कितना मुश्किल होता  जीना ।

   ध्वनि  अच्छी बातों में,  सुरीले  संगीत की रूप में,    सब के मन  भाता हूँ ।  लेकिन  ध्वनी के  प्रदूषण से लोग बहुत परेशान होते हैं ।  कुछ लोग ध्वनि का प्रदूषण  फैलाते हैं ।  

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