अविकारी शब्द कितने प्रकार के होते हैं?
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अविकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं ,जो कि इस प्रकार है :::
अविकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं ,जो कि इस प्रकार है....
- क्रिया विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
क्रिया विशेषण : क्रिया विशेषण वे अविकारी शब्द होते हैं जो वाक्य में प्रयुक्त होने वाली किसी क्रिया की विशेषता बताते है।
उदाहरण के लिए...
राजेश धीरे धीरे चलता है।
यहाँ पर इस वाक्य में ‘चलता है’ एक क्रिया है, और ‘धीरे-धीरे’ उस क्रिया की विशेषता बता रहा है, इसलिए धीरे-धीरे किया विशेषण हुआ।
क्रिया विशेषण के चार भेद होते हैं।
- कालवाचक क्रिया विशेषण
- स्थानवाचक क्रिया विशेषण
- परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
- रीतिवाचक क्रिया विशेषण
संबंधबोधक अव्यय : संबंधबोधक अविकारी शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी वाक्य में किन्ही दों शब्दों के बीच संबंध का बोध कराते है।
जैसे
- राम के साथ श्याम है।
- राधा के बिना कृष्ण अधूरे है।
यहाँ पर ‘साथ’ और ‘के बिना’ संबंध बोधक अव्यय है, क्योंकि ये दो शब्दों के बीच संबंंध का बोध करा रहे हैं।
समुच्चयबोधक अव्यय : किसी वाक्य में पूरे समूह यानि समुच्चय का बोध कराने वाले अविकारी शब्दों को समुच्चय बोधक अव्यय कहते है।
जैसे
- राजेश खाना खा रहा है लेकिन रजनी सो रही है।
- यहाँ पर ‘लेकिन’ एक समुच्ययबोधक अव्यय है।
विस्मयादिबोधक अव्यय : विस्मयादिबोधक अव्यय वे अव्यय होते हैं। जो किसी वाक्य में आश्चर्य, विस्यम, हर्ष, दुख आदि का बोध कराते हैं।
जैसे
- वाह ! कितना सुंदर दृश्य है।
- इस वाक्य में वाह ! एक विस्मयादिबोधक अव्यय है।
अविकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं-
- क्रियाविशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक