Hindi, asked by sajithaikkoottam, 7 hours ago

अविस्त दुख है उत्पीडन, अविरत सुख भी उत्पीडन - इससे आपकी राय क्या है?
please answer fast​

Answers

Answered by kaushalthakur867
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Answer:

जग पीड़ित है अति-दुख से

जग पीड़ित रे अति-सुख से,

मानव-जग में बँट जाएँ

दुख सुख से औ’ सुख दुख से !

अविरत दुख है उत्पीड़न,

अविरत सुख भी उत्पीड़न;

दुख-सुख की निशा-दिवा में,

सोता-जगता जग-जीवन !

यह साँझ-उषा का आँगन,

आलिंगन विरह-मिलन का;

चिर हास-अश्रुमय आनन

रे इस मानव-जीवन का !

- सुमित्रानंदन पंत

Answered by ayanshahnwaz272
0

Answer:

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