अविस्त दुख है उत्पीडन, अविरत सुख भी उत्पीडन - इससे आपकी राय क्या है?
please answer fast
Answers
Answered by
0
Answer:
जग पीड़ित है अति-दुख से
जग पीड़ित रे अति-सुख से,
मानव-जग में बँट जाएँ
दुख सुख से औ’ सुख दुख से !
अविरत दुख है उत्पीड़न,
अविरत सुख भी उत्पीड़न;
दुख-सुख की निशा-दिवा में,
सोता-जगता जग-जीवन !
यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का;
चिर हास-अश्रुमय आनन
रे इस मानव-जीवन का !
- सुमित्रानंदन पंत
Answered by
0
Answer:
nenrnr. rjj4j3je. 3ieieiekm3. election commission by a questio to kya hua check ✅✅✅ to
Similar questions