अव्यय के भेदों के नाम लिखें।
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oktout7otioyiyyi8oo7o
क्रिया विशेषण
संबंधबोधक
समुच्चयबोधक
विस्मयादिबोधक
निपात
1. क्रिया विशेषण Kriya visheshan –
जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं। अर्थ के आधार पर क्रिया विशेषण चार प्रकार के होते हैं
१ स्थानवाचक
रीतिवाचक – यहां , वहां , भीतर , बाहर।
दिशावाचक – इधर , उधर , दाएं , बाएं।
२ कालवाचक
समयवाचक – आज , कल , अभी , तुरंत।
अवधिवाचक – रात भर , दिन भर , आजकल , नित्य।
बारंबारतावाचक – हर बार , कई बार , प्रतिदिन।
३ परिमाणवाचक
अधिकताबोधक – बहुत , खूब , अत्यंत , अति।
न्यूनताबोधक – जरा , थोड़ा , किंचित , कुछ।
पर्याप्तिबोधक – बस , यथेष्ट , काफी , ठीक।
तुलनाबोधक – कम , अधिक , इतना , उतना।
श्रेणीबोधक – बारी – बारी , तिल-तिल , थोड़ा-थोड़ा।
४ रीतिवाचक
ऐसे , वैसे , कैसे , धीरे , अचानक , कदाचित , अवश्य , इसलिए , तक , सा , तो , हां , जी , यथासंभव।
2. संबंधबोधक Sambandh bodhak –
जो अव्यय किसी संज्ञा के बाद आकर उस संज्ञा का संबंध वाक्य के दूसरे शब्द से दिखाते हैं उन्हें संबंधबोधक कहते हैं। जैसे
वह दिन भर काम करता रहा।
मैं विद्यालय तक गया था।
मनुष्य पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता।
संबंधबोधक अव्ययों के कुछ और उदाहरण निम्नलिखित है –
अपेक्षा , सामान , बाहर , भीतर , पूर्व , पहले , आगे , पीछे , संग , सहित , बदले , सहारे , आसपास , भरोसे , मात्र , पर्यंत , भर , तक , सामने।
3.समुच्चयबोधक Samucchya bodhak –
दो वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अव्यय कहे जाते हैं। जैसे –
सूरज निकला और पंछी बोलने लगे।
यहां और समुच्चयबोधक अव्यय है।
समुच्चयबोधक अव्यय मूलतः दो प्रकार के होते हैं १ समानाधिकरण २ व्यधिकरण।
१ समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार उपभेद हैं –
संयोजक – और , एवं , तथा।
विभाजक – या , अथवा , किंवा , नहीं तो।
विरोध – दर्शक – पर , परंतु , लेकिन , किंतु , मगर , वरन।
परिणाम – दर्शक – इसलिए अतः अतएव
२ व्यधिकरण के चार उपभेद हैं –
कारणवाचक – क्योंकि , जोकि , इसलिए कि।
उद्देश्यवाचक – कि , जो , ताकि।
संकेतवाचक – जो तो , यदि तो , यद्यपि , तथापि।
स्वरूपवाचक – कि , जो , अथार्थ , यानी।
4 विस्मयादिबोधक Vismayadi bodhak –
जिन अवयवों से हर्ष , शोक , घृणा , आदि भाव प्रकट होते हैं। जिनका संबंध वाक्य के किसी दूसरे पद से नहीं होता उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे –
हाय! वह चल बसा।
इस अव्यय के निम्न भेद हैं –
हर्षबोधक – वाह , आह , धन्य , शाबाश।
शोकबोधक – हाय , आह , त्राहि-त्राहि।
आश्चर्यबोधक – ऐं , क्या , ओहो , हैं।
स्वीकारबोधक – हां , जी हां , अच्छा , जी , ठीक।
अनुमोदनबोधक – ठीक , अच्छा , हाँ – हाँ ।
तिरस्कारबोधक – छी , हट , धिक , दूर।
संबंधबोधक – अरे , रे , जी , हे , अहो।
5.निपात – मूलतः निपात का प्रयोग अवयवों के लिए होता है। इनका कोई लिंग , वचन नहीं होता। निबातों का प्रयोग निश्चित शब्द या पूरे वाक्य को श्रव्य भावार्थ प्रदान करने के लिए होता है। निपात सहायक शब्द होते हुए भी वाक्य के अंग नहीं होते। निपात का कार्य शब्द समूह को बल प्रदान करना होता है। निपात कई प्रकार के होते हैं जैसे –
स्वीकृतिबोधक – हां , जी , जी हां, अवश्य।
नकारबोधक – जी नहीं , नहीं।
निषेधात्मक – मत।
प्रश्नबोधक – क्या , कैसे।
विस्मयादिबोधक – काश , हाय।
तुलनाबोधक – सा।
अवधारणाबोधक – ठीक , करीब , लगभग , तकरीबन।
आदरबोधक – जी।
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