अव्ययनि अर्थ:
राह सायम, हिना = विगाहा बीता हुआ
कल, परहा:बीताईआ
परसा वयाव्यर्थ गुर
में चूनम अग्य, आपला- अग, पराप्रापन कात्र
जो सहसा : अचानक वही सतर्मशा, हिनि
श्रय, ह व 2 जैस प्रति घी, लदान
प्रव्यपदाचाग अर्थ
केनः किसके द्वारा का पुषिडया)- कवि
करण पुलिडम) - किसका काकी
वी(ौनिहगाम) कौर, कमर पाडगा): किस
कोका (पनिडम): कोदोलाक
कि कीदृशम् ( पुलिडमा नपंसफनिडगम) विस
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