अवसर के अनुसार व्यावहारिकता का सहारा लेना कहाँ तक उचित है? चर्चा kijiye
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अवसर के अनुसार व्यवहारिकता का सहारा लेना तब तक अनुचित नहीं है, जब तक की आप किसी और के अधिकारों का हनन न करें। हर मनुष्य जीवन में आगे बढ़ना चाहता है। परन्तु आदर्शों पर चलते रहने से उसे सफलता हासिल नहीं हो सकती क्योंकि आज के समय में लोग आदर्शवादी नहीं होते हैं। ऐसे लोगों के बीच में रहते हुए यदि कोई आदर्शवादी होता है, उसे सफलता कभी प्राप्त नहीं हो सकती है। अतः यदि वह आदर्शों को अपनाता है लेकिन अवसर पड़ने पर उन्हें कुछ समय के लिए बदल लेता है, तो इसमें बुराई नहीं है। अवसर का लाभ उठाना कोई भी गलत काम नहीं है। ऐसे समय में उसे बिना सोचे समझे अपने आदर्शों से समझोता कर लेना चाहिए। वह अपने आदर्शों को हर समय नहीं बदलता है। किसी ऐसे समय में जब उसे आदर्शों को बदलने के लिए विवश होना पड़े, तो उसे बदल लेना चाहिए। हमने सर पर विद्यमान ज़िम्मेदारियों तथा अपनी ज़रूरतों के लिए वह सिर्फ इसलिए परेशान रहे क्योंकि वह आदर्शवादी है, तो यह बात उचित नहीं जान पड़ती है।