अवसर मिलते ही लेखक कौन से काम करता था ? tell fast
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अवसर मिलते ही लेखक कौन से काम करता था ?
अवसर मिलते ही लेखक चारदीवारी पर चढ़ता और उतरता था। इस तरह वह बहुत देर यही काम करता रहता। कभी उसका मन करता तो कागज की तितलियां बनाकर उड़ाता था। फिर पैरों से ठोकर मारकर कंकर हवा में उछालता था।
व्याख्या :
‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक को अपने बड़े भाई से छुपकर जब भी अवसर मिलता, अपने मन के यह सारे क्रियाकलाप करने लगता। इससे उसे बेहद खुशी मिलती थी और बड़े भाई साहब के तानों से उत्पन्न तनाव से मुक्ति मिलती थी।
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