अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे-विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे
दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल-धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ
फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता। जिस वक्त ये दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते और गरदन हिला-हिलाकर चलते, उस वक्त हर एक की यही चेष्टा होती थी कि ज़्यादा-से-ज़्यादा बोझ मेरी ही गरदन पर रहे। दिन भर के बाद दोपहर या संध्या को दोनों खुलते, तो एक-दूसरे को चाट-चूटकर अपनी थकान मिटा लिया करते। नाँद में खली-भूसा पड़ जाने के बाद दोनों साथ उठते, साथ नाँद में मुँह डालते और साथ ही बैठते थे। एक मुँह हटा लेता, तो दूसरा भी हटा लेता था। क - गुप्त शक्ति किनमें थी ? मनुष्य किस गुप्त शक्ति से वंचित है | ख - ' दोनों की मित्रता अनुकरणी थी स्पष्ट कीजिए । ग - दोनों कभी - कभी सींग क्यों मिला लिया करते थे ।
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क) दोनों बैलो मे थी l
ख) दोनों की मित्रता अनुकरणी थी l
ज़ब एक नाद से मुँह हटा लेता तो दूसरा भी हटा लेता l
ग) दोनों कभी - कभी सींग मिला लिया करते थे क्यूंकि विग्रह के नाते नहीं बल्कि विनोद के भाव से
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