अवतरण-1
पल
धर्मराज, यह भूमि किसी की नहीं, क्रीत है दासी।
है जन्मना समान परस्पर, इसके सभी निवासी।
सबको मुक्त प्रकाश चाहिए, सबको मुक्त समीरण।
बाधा रहित विकास, मुक्त आशंकाओं से जीवन।
प्रश्न 1. प्रस्तुत कविता मूलरूप से कहाँ से ली गई है? कौन किसको किस समय सम्बोधित
कर रहा है?
धार
सुब
ल
प्रश्न 2. कवि ने पृथ्वी तथा उसके निवासियों के विषय में क्या बताया है?
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good ques.. .. .. .. .. .. ..
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