अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुती गुहारि जितहिं ते, उत ते धार बही।
'सूरदास' अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लहौ।।
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अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा ... अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, ... ' सूरदास' अब धीर धरहिं क्यौं, ...
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