History, asked by krishnagupta1993, 10 months ago

अवध में विद्रोह इतना व्यापक क्यों था? किसान, ताल्लुकदार और ज़मींदार उसमें क्यों शामिल हुए?

Answers

Answered by shishir303
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1857 के स्वतंत्रता संग्राम के अन्तर्गत अवध में हुये विद्रोह का व्यापकता और किसान, तालुकदार और जमींदारों के उसमें शामिल होने के अनेक कारण थे, जो इस प्रकार थे...

  • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अवध में विद्रोह बेहद व्यापक हो गया था और यह विद्रोह अंग्रेजी शासन के विरुद्ध जनसामान्य की अभिव्यक्ति बन गया था। इस विद्रोह में किसानों, जमीदारों, तालुकादारों सबने मिलकर भाग लिया। अवध में विद्रोह की शुरुआत लखनऊ से हुई थी। इसका नेतृत्व बेगम हजरत महल कर रही थीं। उन्होंने अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कादर को अवध का नवाब घोषित करके अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष आरंभ कर दिया।  
  • अवध के जमीदारों और सैनिकों ने भी बेगम की भरपूर मदद की। विद्रोहियों ने शीघ्र ही ब्रिटिश रेजीडेंस को घेर लिया और जल्दी ही पूरे अवध में विद्रोहियों के झंडे लहराने लगे। अवध में विद्रोह का व्यापक प्रसार इसलिए हुआ क्योंकि इस अवध में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध सभी वर्ग के लोगों ने समान रूप से भाग लिया। इसका कारण ये था कि सभी वर्ग के लोग ब्रिटिश शासन से समान रूप से प्रताड़ित थे।  
  • अवध में ब्रिटिश शासन सभी वर्ग के लोगों के लिए चाहे वो राजकुमार हों, तालुकादार हों, किसान हो या सिपाही या आम जनता सभी के लिए अपमान और प्रताड़ना का प्रतीक बन गया था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवध की राजगद्दी पर कब्जा करके नवाब को उनकी गद्दी से वंचित करके क्षेत्र के सभी तालुकादार, जमीदारों को उनकी शक्ति और संपत्ति एवं प्रभाव से वंचित कर दिया था। इसके कारण सबके मन में अंग्रेजी शासन के प्रति आक्रोश व्याप्त था।  
  • ब्रिटिश शासन की स्थापना से पहले इन सभी तालुकादारों, जमीदारों आदि के पास अपनी फौज और किले होते थे।अवैध कब्जे के बाद इन सभी की शक्ति व किलों को नष्ट करके शक्ति को सीमित कर दिया गया था। सेनाओं को भंग कर दिया गया था। इसके कारण सभी तालुकादार और जमीदारों का असंतोष और आक्रोश बढ़ गया।  
  • अंग्रेजों की भू राजस्व नीति ने तालुकादारू को बहुत प्रभावित किया तालुकदार को उनकी जमीनों से वंचित किया जाने लगा
  • तालुकादारों को उनकी सत्ता से वंचित हो जाने के कारण तालुकादारों और किसानों के बीच जो एक सामाजिक निष्ठा और संरक्षण संबंध था वो संबंध खत्म हो गया। ब्रिटिश सरकार और किसानों के बीच वैसा संबंध नहीं रहा।  
  • तालुकादार यदि किसानों का उत्पीड़न करते थे तो संकट की घड़ी में उनका संरक्षण भी करते थे।  
  • सरकार द्वारा मनमाने राजस्व एवं गैर लचीली राजस्व व्यवस्था के कारण किसानों की हालत दयनीय हो गई थी। फसल खराब हो जाने पर सरकारी राजस्व में कमी की कोई आशा नहीं रह गई थी और ना ही उन्हें तीज-त्योहारों पर सरकार द्वारा किसी तरह की कोई सहायता नही मिलती। इससे किसानों में ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोष बढ़ने लगा था। इस प्रकार किसानों, तालुकादारों, जमीदारों और सिपाहियों सबके मन में ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोष एवं आक्रोश बढ़ते जाने के कारण विद्रोह का व्यापक स्वरूप देखने को मिला।

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Answered by sourabhsharma85253
1

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