awayay kya hota hai...please tell its urgent
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hey dear ☺☺❤
इस अव्यय के मुख्य भेद निम्नलिखित है-
(1) समानाधिकरण (2) व्यधिकरण
(1) समानाधिकरण- जिन पदों या अव्ययों द्वारा मुख्य वाक्य जोड़े जाते है, उन्हें 'समानाधिकरण समुच्चयबोधक' कहते है। इसके चार उपभेद हैं-
(i) संयोजक- जो शब्द, शब्दों या वाक्यों को जोड़ने का काम करते है, उन्हें संयोजक कहते है।
जैसे- जोकि, कि, तथा, व, एवं, और आदि।
उदाहरण -गीता ने इडली खायी 'तथा ' रीता डोसा खाया।
(ii) विभाजक- जो शब्द, विभिन्नता प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होते है, उन्हें विभाजक कहते है।
जैसे- या, वा, अथवा, किंवा, कि, चाहे, न.... न, न कि, नहीं तो, ताकि, मगर, तथापि, किन्तु, लेकिन आदि।
उदाहरण- कॉपी मिल गयी 'किन्तु' किताब नही मिली।
(iii)विकल्पसूचक- जो शब्द विकल्प का ज्ञान करायें, उन्हें 'विकल्पसूचक' शब्द कहते है।
जैसे- तो, न, अथवा, या आदि।
उदाहरण - मेरी किताब रमेश ने चुराई या राकेश ने। इस वाक्य में 'रमेश' और 'राकेश' के चुराने की क्रिया करने में विकल्प है।
(iv) विरोधदर्शक- पर, परन्तु, किन्तु, लेकिन, मगर, वरन, बल्कि।
(v) परिणामदर्शक- इसलिए, सो, अतः, अतएव।
(2) व्यधिकरण- जिन पदों या अव्ययों के मेल से एक मुख्य वाक्य में एक या अधिक आश्रित वाक्य जोड़े जाते है, उन्हें ' व्यधिकरण समुच्चयबोधक' कहते हैं। इसके चार उपभेद है।-
(i) कारणवाचक- क्योंकि, जोकि, इसलिए कि।
(ii) उद्देश्यवाचक- कि, जो, ताकि, इसलिए कि।
(iii) संकेतवाचक- जो-तो, यदि-तो, यद्यपि-तथापि, चाहे-परन्तु, कि।
(iv) स्वरूपवाचक- कि, जो, अर्थात, याने, मानो।
(4)विस्मयादिबोधक अव्यय :- जो शब्द आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा, आशीर्वाद, क्रोध, उल्लास, भय आदि भावों को प्रकट करें, उन्हें 'विस्मयादिबोधक' कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिन अव्ययों से हर्ष-शोक आदि के भाव सूचित हों, पर उनका सम्बन्ध वाक्य या उसके किसी विशेष पद से न हो, उन्हें 'विस्मयादिबोधक' कहते है।
इन अव्ययों के बाद विस्मयादिबोधक चिहन (!)लगाते है।
जैसे- हाय! अब मैं क्या करूँ ? हैं !तुम क्या कर रहे हो ? यहाँ 'हाय!' और 'है !'
अरे !पीछे हो जाओ, गिर जाओगे।
इस वाक्य में अरे !शब्द से भय प्रकट हो रहा है।
विस्मयादिबोधक अव्यय है, जिनका अपने वाक्य या किसी पद से कोई सम्बन्ध नहीं।
व्याकरण में विस्मयादिबोधक अव्ययों का कोई विशेष महत्त्व नहीं है। इनसे शब्दों या वाक्यों के निर्माण में कोई विशेष सहायता नहीं मिलती। इनका प्रयोग मनोभावों को तीव्र रूप में प्रकट करने के लिए होता है। 'अब मैं क्या करूँ ? इस वाक्य के पहले 'हाय!' जोड़ा जा सकता है।
इस अव्यय के मुख्य भेद निम्नलिखित है-
(1) समानाधिकरण (2) व्यधिकरण
(1) समानाधिकरण- जिन पदों या अव्ययों द्वारा मुख्य वाक्य जोड़े जाते है, उन्हें 'समानाधिकरण समुच्चयबोधक' कहते है। इसके चार उपभेद हैं-
(i) संयोजक- जो शब्द, शब्दों या वाक्यों को जोड़ने का काम करते है, उन्हें संयोजक कहते है।
जैसे- जोकि, कि, तथा, व, एवं, और आदि।
उदाहरण -गीता ने इडली खायी 'तथा ' रीता डोसा खाया।
(ii) विभाजक- जो शब्द, विभिन्नता प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होते है, उन्हें विभाजक कहते है।
जैसे- या, वा, अथवा, किंवा, कि, चाहे, न.... न, न कि, नहीं तो, ताकि, मगर, तथापि, किन्तु, लेकिन आदि।
उदाहरण- कॉपी मिल गयी 'किन्तु' किताब नही मिली।
(iii)विकल्पसूचक- जो शब्द विकल्प का ज्ञान करायें, उन्हें 'विकल्पसूचक' शब्द कहते है।
जैसे- तो, न, अथवा, या आदि।
उदाहरण - मेरी किताब रमेश ने चुराई या राकेश ने। इस वाक्य में 'रमेश' और 'राकेश' के चुराने की क्रिया करने में विकल्प है।
(iv) विरोधदर्शक- पर, परन्तु, किन्तु, लेकिन, मगर, वरन, बल्कि।
(v) परिणामदर्शक- इसलिए, सो, अतः, अतएव।
(2) व्यधिकरण- जिन पदों या अव्ययों के मेल से एक मुख्य वाक्य में एक या अधिक आश्रित वाक्य जोड़े जाते है, उन्हें ' व्यधिकरण समुच्चयबोधक' कहते हैं। इसके चार उपभेद है।-
(i) कारणवाचक- क्योंकि, जोकि, इसलिए कि।
(ii) उद्देश्यवाचक- कि, जो, ताकि, इसलिए कि।
(iii) संकेतवाचक- जो-तो, यदि-तो, यद्यपि-तथापि, चाहे-परन्तु, कि।
(iv) स्वरूपवाचक- कि, जो, अर्थात, याने, मानो।
(4)विस्मयादिबोधक अव्यय :- जो शब्द आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा, आशीर्वाद, क्रोध, उल्लास, भय आदि भावों को प्रकट करें, उन्हें 'विस्मयादिबोधक' कहते है।
दूसरे शब्दों में-जिन अव्ययों से हर्ष-शोक आदि के भाव सूचित हों, पर उनका सम्बन्ध वाक्य या उसके किसी विशेष पद से न हो, उन्हें 'विस्मयादिबोधक' कहते है।
इन अव्ययों के बाद विस्मयादिबोधक चिहन (!)लगाते है।
जैसे- हाय! अब मैं क्या करूँ ? हैं !तुम क्या कर रहे हो ? यहाँ 'हाय!' और 'है !'
अरे !पीछे हो जाओ, गिर जाओगे।
इस वाक्य में अरे !शब्द से भय प्रकट हो रहा है।
विस्मयादिबोधक अव्यय है, जिनका अपने वाक्य या किसी पद से कोई सम्बन्ध नहीं।
व्याकरण में विस्मयादिबोधक अव्ययों का कोई विशेष महत्त्व नहीं है। इनसे शब्दों या वाक्यों के निर्माण में कोई विशेष सहायता नहीं मिलती। इनका प्रयोग मनोभावों को तीव्र रूप में प्रकट करने के लिए होता है। 'अब मैं क्या करूँ ? इस वाक्य के पहले 'हाय!' जोड़ा जा सकता है।
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heya mate
ऐसे शब्द जिनमें लिंग , वचन , पुरुष और कारक आदि के कारण कोई विकार नहीं आता , उन्हें अव्यय शब्द कहते हैं ।
इसके 4 भेद हैं ।
1)--क्रिया विशेषण
2)-- संबंध बोधक
3)-- समुच्चय बोधक
3)-- विस्मयादिबोधक
4)-- क्रिया - विशेषण
उदाहरण - वहाँ , यहाँ , क्यों , अरे , कब आदि ।
अव्यय शब्दों को अविकारी शब्द भी कहते हैं ।
hope it helps
ऐसे शब्द जिनमें लिंग , वचन , पुरुष और कारक आदि के कारण कोई विकार नहीं आता , उन्हें अव्यय शब्द कहते हैं ।
इसके 4 भेद हैं ।
1)--क्रिया विशेषण
2)-- संबंध बोधक
3)-- समुच्चय बोधक
3)-- विस्मयादिबोधक
4)-- क्रिया - विशेषण
उदाहरण - वहाँ , यहाँ , क्यों , अरे , कब आदि ।
अव्यय शब्दों को अविकारी शब्द भी कहते हैं ।
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