Hindi, asked by madansidar8659, 22 days ago

अयेगाअपनी चांदनी जी लो कविता में किसे संबोधित किया है​

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Answered by lovsahu232
1

Answer:

शरद चांदनी बरसी

अँजुरी भर कर पी लो

ऊँघ रहे हैं तारे

सिहरी सरसी

ओ प्रिय कुमुद ताकते

अनझिप क्षण में

तुम भी जी लो ।

सींच रही है ओस

हमारे गाने

घने कुहासे में

झिपते

चेहरे पहचाने

खम्भों पर बत्तियाँ

खड़ी हैं सीठी

ठिठक गये हैं मानों

पल-छिन

आने-जाने

उठी ललक

हिय उमगा

अनकहनी अलसानी

जगी लालसा मीठी,

खड़े रहो ढिंग

गहो हाथ

पाहुन मन-भाने,

ओ प्रिय रहो साथ

भर-भर कर अँजुरी पी लो

बरसी

शरद चांदनी

मेरा अन्त:स्पन्दन

तुम भी क्षण-क्षण जी लो !

Answered by gursharanjali
0

Answer:

शरद चांदनी बरसी

अँजुरी भर कर पी लो

ऊँघ रहे हैं तारे

सिहरी सरसी

ओ प्रिय कुमुद ताकते

अनझिप क्षण में

तुम भी जी लो ।

सींच रही है ओस

हमारे गाने

घने कुहासे में

झिपते

चेहरे पहचाने

खम्भों पर बत्तियाँ

खड़ी हैं सीठी

ठिठक गये हैं मानों

पल-छिन

आने-जाने

उठी ललक

हिय उमगा

अनकहनी अलसानी

जगी लालसा मीठी,

खड़े रहो ढिंग

गहो हाथ

पाहुन मन-भाने,

ओ प्रिय रहो साथ

भर-भर कर अँजुरी पी लो

बरसी

शरद चांदनी

मेरा अन्त:स्पन्दन

तुम भी क्षण-क्षण जी लो !

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