अयोगवाह की परीभाषा लिखों।
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'अं' और 'अः' दो ऐसी ध्वनियां हैं जो न स्वर मानी जाती हैं न व्यंजन, इसलिए इन्हें अयोगवाह कहते हैं।
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⬇️अयोगवाह ⬇️
अनुस्वार और विसर्ग को ‘अयोगवाह’ कहते हैं । ये ध्वनियाँ न तो स्वर हैं और न व्यंजन । हाँ ! स्वरों के सहारे ये चलते अवश्य हैं । पं0 किशोरीदास वाजपेयी के शब्दों में इनकी “ स्वतंत्र गति नहीं, इसलिये ये स्वर नही हैं और व्यंजनों की तरह ये स्वरों के पूर्व नहीं, पश्चात् आते हैं ; इसलिये व्यंजन नहीं । वर्णों की दोनो श्रेणियों में किसी के साथ इनका जातीय योग नही हैं । इसीलिये, इन दोनो ध्वनियों को ‘अयोगवाह’ कहते हैं । न तो स्वर से योग , न व्यंजनों से ( अतः अयोग ) , फिर भी अर्थ वहन ( वाह ) करते हैं । “
इस प्रकार , हिन्दी वर्णमाला में वर्णों की कुल संख्या 51 है – स्वर 11, व्यंजन 33, संयुक्त व्यंजन 3, नये जोड़े गये व्यंजन 2, और अयोगवाह 2 ।
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