अयं संसािः सत्ये प्रनतनष्ितः ।यतः यथा चचन्द्तनं भिनत तथा तस्य कथपम ्आचािर्ं च सत्यम ् इनत भिनत । तस्मात ्विपिीतं तत ् असत्यं भिनत । सत्यं निस्य सामान्द्या प्रिवृत्तः । असत्यं तुअसामान्द्या ननन्द्द्या च प्रिवृत्तः ।अस्य तुप्रमार्ं बालाः, सत्िगुर्प्रर्ानाः, मुग्र् मुगर्मुग्र्ाः ग्रामीर्ाः पिधतीयाश्च जनाः ।बालः यद् यथा चचन्द्तयनत पश्यनत कि नत च, तत ्तत ् तथैि अपष्ृट िा अन्द्यं प्रनत कथयनत ।न तत्र असत्यं िदनत ।
1.एकपदेन उत्तित- (के िलं प्रश्न द्ियमेि) (1/2×2=1) (i)सत्यं कस्य सामान्या प्रववृत्तः? -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------। (ii) अयं संसारः ककस्मन् प्रतिकष्ठिः ? --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------। (iii) क्रकं असामान्या प्रववृत्तः वियिे ?
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i) सत्यं निस्य सामान्द्या प्रिवृत्तः।
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