अयमय खांड न ऊखमय से क्या अभिप्राय है और यह क
हुआ है?
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अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ।। विश्वामित्र ने परशुराम की अभिमानपूर्वक प्रकट की जाने वाली अपनी वीरता संबंधी बातों को सुन कर व्यंग्य भाव से कहा था कि मुनि को हरा-ही--हरा सूझ रहा था। वे सामान्य क्षत्रियों को सदा युद्ध में हराते रहे थे।
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