Azadi ke pahle Bharat Desh Kaisa tha Bharat ki arthvyavastha kya thi. 100 words in hindi
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Azadi ke pahle Bharat Desh Kaisa tha is per nibandh Azadi ke pahle Hamara Desh angrejo Ka Gulam tha vah Hamen Peete maarte Magar Hamare Munh se ek Samay Nikalti Kyunki unhone Hamare Desh per Raj kiya tha Lekin Jab ham log Sath Milkar tab Hamen
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भारत की आज़ादी के इतिहास (Freedom History of India) के पन्ने कहते हैं “भारत को उपनिवेश दर्जे पर ऐतराज़ सिर्फ ब्रिटिश संसद में ही नहीं हुआ था, बल्कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे उपनिवेशों (Dominions) के नेताओं ने भी ऐतराज़ जताया था क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि 'अश्वेत भारत' को 'श्वेतों' के साथ बराबरी का दर्जा मिले.पाठ्यपुस्तकों (Textbooks) की बात हो या मौखिक तौर पर छोटों को सामान्य ज्ञान (General Knowledge) देने की, यही बताया जाता है कि भारत को आज़ादी (Freedom of India) 15 अगस्त 1947 को मिली थी. प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pt. Jawaharlal Nehru) ने आधी रात को आज़ादी का यादगार भाषण (Tryst With Destiny) लाल किले से दिया था. लेकिन न तो यह सवाल उठता है और न ही आम तौर से सोचा जाता है कि जब भारत आज़ाद हो गया था, तो एक अंग्रेज़ यानी लुइस माउंटबैटन (Lord Mountbatten) भारत का गवर्नर जनरल क्यों था?
क्या सच में इस तारीख को भारत आज़ाद हो गया था? कहा तो जा सकता है, लेकिन तकनीकी रूप से यह मानना गलत ही है. 15 अगस्त 1947 वो तारीख थी, जब भारत को ब्रिटेन के स्वतंत्र उपनिवेश का दर्जा मिला था, जिसे भारतीय संघ या भारतीय उपनिवेश कहा गया. क्यों ऐसे में भारत को आज़ाद नहीं माना जा सकता था? उपनिवेश होने से क्या फायदा हुआ और क्या मुश्किलें खड़ी हुईं?
वास्तव में, भारतीय स्वाधीनता एक्ट 1947 के तहत ये प्रावधान हुए थे और भारत का संविधान बनाए जाने की राह खुली थी. जब तक संविधान नहीं बना, तब तक भारत ब्रिटिश कॉमनवेल्थ देशों में एक उपनिवेश के तौर पर शामिल रहा. 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान बनने से ही सही मायनों में भारत को आज़ाद देश के तौर पर पहचान मिली. इतिहास और कायदों के मुताबिक इस किस्से को समझना दिलचस्प है.
1947 में नेहरू का पीएम के तौर पर शपथ दिलाने के दौरान माउंटबैटन.