Hindi, asked by mishthis11, 9 months ago

बाबा आमटे के बारे में 40 से 50 शब्दों में एक अनुच्छेद likhe.



Whoever answers this question correctly will be marked as brainliest. and no spam pls.​

Answers

Answered by smdilshad72
1

Answer:

नई दिल्‍ली [जागरण स्पेशल]। आमतौर पर यही देखा जाता है कि बड़े परिवार में जन्म लेने वाले लड़के ऐशो आराम से जीवन जीते हैं, एक अच्छी शिक्षा-दीक्षा लेकर एक व्हाइट कालर जॉब करते हैं मगर महाराष्ट्र के वर्धा में जन्मे बाबा आमटे के साथ ऐसा नहीं हुआ। वो जन्में तो धनी परिवार में थे मगर अपना जीवन समाज के दबे-कुचले और गरीब लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया।

बाबा आमटे का पूरा नाम मुरलीधर देवीदास आमटे था। उन्होंने देश के कुष्ठ रोगियों के सशक्तिकरण के लिए काम किया, इस वजह से उनके योगदान को भूलाया नहीं जा सकता है। वो सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई। वो वन्य जीवन संरक्षण और नर्मदा बचाओ आंदोलन शामिल है।

Answered by kashishkhanam
1

समाजसेवी बाबा आमटे का जन्म 26 दिसंबर, 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के हिंगनघाट में एक धनी परिवार में हुआ था। बाबा आमटे के पिता देवीदास ब्रिटिश भारत के प्रशासन में शक्तिशाली नौकरशाह थे। बाबा आमटे के पिता देवीदास वर्धा जिले के धनी जमींदार थे। बाबा आमटे की माता का नाम लक्ष्मीबाई आमटे था बाबा आमटे के जीवन परिचय की बात करें तो समाजसेवी बाबा आमटे के पिता देवीदास उन्हें बहुत प्यार करते थे। उनका पूरा नाम मुरलीधर देवीदास आमटे था लेकिन उनके माता पिता उन्हें 'बाबा' कहकर बुलाते थे। आगे चलकर ही ये नाम उनकी पहचान बनी। एक जमीदार परिवार के होने के नाते बाल्यावस्था में उनके पास बंदूक थी। ऐसा कभी नहीं हुआ जब उनके माता-पति ने उनकी जिद्द को पूरा न किया हो। बाद में बाबा आमटे ने स्पोर्ट्स कार खरीदी थी। खास बात यह भी कि कार का गद्दा चीते की खाल से बना था।बाबा आमटे ने एमए.एलएलबी तक की पढ़ाई की। बाबा आमटे की पढ़ाई क्रिस्चियन मिशन स्कूल नागपुर में हुई। इसके बाद बाबा आमटे ने नागपुर यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई की और कई दिनों तक वकालत भी की थी। बाबा आमटे ने अपने पैतृक शहर में भी वकालत की थी जो कि काफी सफल रही थी। बाबा आमटे ने साल 1946 में साधना गुलशास्त्री से शादी की थी।

बाबा आमटे की पत्नी साधना गुलशास्त्री उनके सामाजिक कार्यों में मदद करती थीं और वह मानवता में विश्वास करती थीं। साधना गुलशास्त्री ताई के नाम से लोकप्रिय थीं। इनके दो बच्चे हुए प्रकाश और विकास। उनकी दोनों ही संतानें डॉक्टर हैं और गरीबों की मदद करने के माता-पिता के नक्शेकदम पर चले।

बाबा आमटे की भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका समाजिक कार्यकर्ता बाबा आमटे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी और विनोबा भावे से प्रभावित थे। बाबा आमटे ने इनके साथ मिलकर पूरे भारत का दौरा किया और देश के गांवों मे अभावों में जीने वालें लोगों की असली समस्याओं को समझने की कोशिश की थीlबाबा आमटे ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी खुलकर भाग लिया। बाबा आमटे ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में होने वाले बड़े आंदोलनों में भाग लिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त, 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ था। इस आन्दोलन के दौरान बाबा आमटे ने पूरे भारत में बंद लीडरों का केस लड़ने के लिए वकीलों को संगठित किया थाबाबा आमटे का जीवन उस वक्‍त पूरी तरह बदल गया था जब उन्‍होंने एक कुष्‍ठरोगी को देखा था। 35 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी वकालत को छेड़कर समाजसेवा शुरू कर दी थी। इस घटना ने उन्‍हें जरूरतमंदों की मदद के लिए प्रेरित किया। उन्‍होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए आनंदवन नामक संस्था की स्थापना की थी। जब उन्होंने एक कुष्ठ रोग के मरीज को देखा तो बाबा ने कहा है कि व्यक्ति के शरीर का अंग से ज्यादा अपना जीवन खोता है, साथ ही अपनी मानसिक ताकत खोने के साथ अपना जीवन भी खो देता है।समाजसेवी बाबा आमटे को उनके महान कर्यों के लिए उन्हें विभिन्न सारे पुरस्कारों से नवाजा गया था। बाबा आमटे को 1971 में पद्मश्री, 1978 में राष्‍ट्रीय भूषण, 1986 में पद्म विभूषण और 1988 में मैग्‍सेसे पुरस्‍कार मिला था।समाजसेवी बाबा आमटे का 9 फरवरी, 2008 को 94 साल की आयु हो गया था।

Similar questions