बाबूजी और गांव के लोगों ने ऐसा क्यों कहा कि लड़के और बंदर पराई पीर नहीं समझते?
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बाबूजी और गांव के लोगों का ऐसा कहना कि लड़के और बंदर पराई पीर नहीं समझते, कारण नीचे दिया गया है।
- गांव के लड़कों का समूह खेत में दाने चुग रही चिड़ियों के झुंड को देखकर दौड़ दौड़ कर पकड़ने लगा परन्तु एक चिड़िया भी किसी के हाथ न अाई।
- भोलानाथ खेत से अलग ही खड़ा गा रहा था - रामजी की चिरई , रामजी का खेत
खा लो चिरई, भर भर पेट।
- भागते हुए बच्चो को देखकर बाबूजी और गांव के बड़े लोग हंस रहे थे, वे कह रहे थे कि चिड़ियों की जान पर बन आई होगी, इन बच्चो को खेल लग रहा है।
- इसी प्रसंग पर बाबूजी और गांव के लोगों ने कहा कि बंदर व लड़के सचमुच पराई पीर नहीं समझते अर्थात दूसरे का दुख नहीं समझते।
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