Hindi, asked by savirali786, 3 months ago

बाबी कूटै बावरा सरप न मारया जाइ । मूरख बाबी ना डसै साँप सबन को खाय।।​

Answers

Answered by mamta25mehta
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Explanation:

प्रस्तुत दोहे में कबीर दास जी बाह्य आडम्बर पर प्रहार करते हुए कहते है कि सांप के बिल को तोड़ने से कोई लाभ नही है , उससे सांप नही मरेगा। क्योंकि बिल किसी को नुकसान नही पहुंचता । जबकि सांप ऐसा करता है । अतः हे मनुष्य, तुम दिखावा और आडम्बर छोड़ कर सत्य का आचरण करो ।

Answered by franktheruler
7

बाबी कूटै बावरा सरप न मारया जाइ । मूरख बाबी ना डसै साँप सबन को खाय।।

व्याख्या कीजिए

दी गई पंक्तियां संत कबीर जी के दोहे की है

  • बाबी कूटै बावरा सरप न मारया जाइ । मूरख बाबी ना डसै साँप सबन को खाय।। इन पंक्तियों में संत कबीर जी ने मनुष्य के बाह्य आडंबर पर प्रहार किया है।
  • संत कबीर कह रहे है कि हे मूर्ख इंसान , सांप जिस बिल में रहता है या बिल को तोड़ने से कोई लाभ नहीं। सांप की बिल तोड़ने से कुछ नहीं होगा, उस बिल में रहने वाले सांप को मारना होगा क्योंकि सांप की बिल किसी को नहीं मारती, सांप सभी को डंसता है।
  • वे समझाते हुए कहते है कि इसी प्रकार मनुष्य को अपने अंदर व्याप्त दिखावे की भावना त्याग कर सत्य का मार्ग अपनाना होगा, बाह्य आडंबर से कुछ नहीं होगा, सच की पहचान करो तथा वास्तविकता , यथार्थता में जीना आरंभ करो।

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