३. बाबा ने उन दिनों कौन से पौधे लगाए थे ?
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मनोज तिवारी, बकेवर पेड़ पर्यावरण के लिए संजीवनी ही नहीं हैं बल्कि ये मानवीय रिश्ते में मिठास घोलते हैं। इनमें पुरखों का स्नेह और आशीर्वाद की शीतलता भी मिलती है। कई परिवार ऐसे हैं जिनमें पुरखों द्वारा लगाए गए पेड़ उनके परिवार का हिस्सा तक बन चुके हैं। दादा-दादी द्वारा लगाए गए पेड़ों को पोता-पोती सींच रहे हैं। बकेवर कस्बे में ऐसे ही परिवार लोगों के लिए नजीर बने हुए हैं। बाबा द्वारा रोपित पौधे वृक्ष बनकर पोतों की समृद्धि की बगिया महकाने का काम कर रहे हैं। बकेवर निवासी रिषी शुक्ला उर्फ राजन के अनुसार लगभग 48 साल पूर्व उनके बाबा ने एक हेक्टेयर भूमि में आंवला, बेर, अमरुद के पेड़ लगाए थे। उस पौधशाला को दादा ने बेहद मेहनत से सींचा था। एक पौधा टूट जाए तो रोना आता था। इसका ख्याल पूरा परिवार रखता है। वह कहते हैं कि जब भी हम उन वृक्षों के नीचे बैठते हैं तो बाबा की यादें ताजा हो जाती हैं। हर एक वृक्ष हमारे परिवार की कहानी बयां करता है। हम जीवन में इन पेड़ों से जुदा होकर रहने की बात सोच भी नहीं सकते। लखना रोड स्थित शुक्ला उद्यान व कृषि फार्म के स्वामी एवं युवा पर्यावरण प्रेमी ऋषि शुक्ला उर्फ राजन के यहां उनके बाबा व पिताजी के द्वारा रोपित एक हेक्टेयर क्षेत्र में संकर प्रजाति के आम का बगीचा, अमरूद का बगीचा व संकर प्रजाति के बेर का बगीचा है,