बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के अनुसार जाति प्रथा को स्वाभाविक क्षम विभाजन क्यों नहीं माना जा सकता ?
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जाति प्रथा श्रम का ही विभाजन नहीं करती बल्कि यह श्रमिक को भी बाँट देती है। आंबेडकर जी के अनुसार एक सभ्य समाज में इस प्रकार का विभाजन सही नहीं है। इसे मान्य नहीं कहा जा सकता।
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