बाबा साहेब भमराव अम्बेडकर के अनुसार जाती प्रथा को स्वभविक श्रम विभाजन क्यो नहीं माना जा सकता
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जाति प्रथा में श्रम विभाजन मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है। इसमें मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा निजी क्षमता का विचार किए बिना किसी दूसरे के द्वारा उसके लिए पेशा निर्धारित कर दिया जाता है। यह जन्म पर आधारित होता है। ... इससे उसके भूखों मरने की नौबत आ जाती है।
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