Hindi, asked by bismapari7700, 10 months ago

बिंब स्पष्ट करें -
सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
घंटी बजाते हुए ज़ोर - ज़ोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके।

Answers

Answered by kshitizbitu7256
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Answer:

उत्तर : इस काव्यांश में गतिशील बिंब को साकार किया गया है। इस पंक्ति में चाक्षु बिंब भी विद्यमान है। भादों के जाते ही सुबह नई चमक-दमक के साथ आती है। शरद ऋतु की भोर को खरगोश की आँखों के समान लाल दिखाया गया है। इस पंक्ति को बोलते ही खरगोश की आँखों का बिंब हमारे सामने आ जाता है। शरद साइकिल चलाता तथा घंटी बजाता हमें दिखाई देता है। आकाश को मुलायम बताकर कवि ने जो कल्पना की है, वह अद्भुत है। यहाँ पतंग का आकाश में उड़ना एक नए दृश्य को दृष्टिगोचर करता है।

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